नई दिल्ली। हरतालिका तीज(Hartalika Teej ) का पर्व मां पार्वती और भगवान भोलेनाथ (Mother Parvati and Lord Bholenath) का पुन: मिलन का प्रतीक है. माता पार्वती ने शिव जी का वरण करने के लिए अन्न, जल त्यागकर हरतालिका तीज का व्रत किया था. देवी की कोठर तपस्या से खुश होकर भोलेनाथ ने उन्हें अपनी पति के रूप में अपनाया था. 30 अगस्त यानि आज को हरतालिका तीज व्रत 2022 (Hartalika Teej Vrat 2022) रखा जाएगा. अच्छी जीवनसाथी और पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत रखती है.
मान्यता है जो सुहागिनें और कुंवारी लड़कियां (Honeymoons and virgins) हरतालिका तीज निर्जला व्रत रखकर रात्रि जागरण करती हैं और विधिवत मां पार्वती और भोलेनाथ की पूजा करती है उन्हें सुखद वैवाहिक जीवन और सुयोग्य वर प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है. नियम के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत एक बार शुरु करने के बाद इसे बीच में नहीं छोड़ा जाता. आइए जानते है हरतालिका तीज पूजा (Worship) का शुभ मुहूर्त, योग औऱ पूजा विधि
हरतालिका तीज 2022 मुहूर्त (Hartalika Teej 2022 muhurat)
भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि आरंभ – 29 अगस्त 2022, 3.21 PM
भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि समापन – 30 अगस्त 2022, 3.34 PM
सुबह का शुभ मुहूर्त- 06.05 AM – 08.38 AM (30 अगस्त 2022)
प्रदोष काल मुहूर्त – 06.33 PM- 08.51 PM (30 अगस्त 2022)
ब्रह्म मुहूर्त – 04:35AM- 05:20 AM
अभिजित मुहूर्त – 12:02 PM – 12:53 PM
गोधूलि मुहूर्त- 06:37 PM – 07:01 PM
अमृत काल – 05:38 PM – 07:17 PM
हरतालिका तीज 2022 शुभ योग (Hartalika Teej Yoga)
हरतालिका तीज पर इस साल बेहद खास योग बन रहा है. शुभ योग और हस्त नक्षत्र के संयोग में हरतालिका तीज व्रत रखा जाएगा. हस्त नक्षत्र में ही मां पार्वती में बालू के शिवलिंग बनाकर हरतालिका तीज की पूजा की थी. शुभ योग में महादवे की पूजा
शुभ योग – 30 अगस्त 2022, 1.04 AM – 31 अगस्त 2022, 12.4 AM
हरतालिका तीज 2022 पूजा विधि (Hartalika Teej Puja Vidhi)
हरतालिका तीज पर सूर्योदय से पूर्व स्नानादि से निवृत्त हो जाएं और फिर गौरीशंकर के समक्ष निर्जला व्रत का संकल्प लें. नियमित रूप से महादेव और मां पार्वती की पूजा करें.
हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल में उत्तम मानी जाती है. इस दिन सूर्यास्त के बाद शुभ मुहूर्त में सुहागिन स्त्रियां सोलह श्रृंगार कर बालू या शुद्ध काली मिट्टी से शिव-पार्वती और गणेश जी की मूर्ति बनाएं.
अब केले के पत्तों से मंडप बनाएं. एक बड़े से तांबे के पात्र में गौरी-शंकर, गणपति की प्रतिमा स्थापित करें. इसे पूजा की चौकी पर रख दें. अब पांच फूलों की माला का फुलेरा बनाकर प्रतिमा के ऊपर लटका दें. हरतालिका तीज की पूजा में फुलेरा का बहुत महत्व है. ये महादेव की पांच पुत्रियों का प्रतीक है.
भोलेनाथ का दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल से अभिषेक कर, उन्हें चंदन, मौली, अक्षत, बेलपत्र, धतूरा, शमी पत्र, आंक के पुष्प, भस्म, गुलाल, अबीर आदि अर्पित करें. साथ ही गणेश जी को दूर्वा और जनेऊ चढ़ाएं.
मां पार्वती का षोडोपचार से पूजन कर, सुहाग की पूर्ण सामग्री (कुमकुम, बिंदी, हल्दी, मेहंदी, चूड़ी, महावर, काजल, शीशा, कंघी आदि) अर्पित करें. पूजन के बाद इन सामग्री को ब्राह्मण को दान करें.
हरतालिक तीज पर 16 प्रकार की पत्तियां ( बेलपत्र, तुलसी, जातीपत्र, सेवंतिका, बांस, देवदार पत्र, चंपा, कनेर, अगस्त्य, भृंगराज, धतूरा, आम पत्ते, अशोक पत्ते, पान पत्ते, केले के पत्ते, शमी के पत्ते) शिव-पार्वती को अर्पित करने की परंपरा है. मान्यता है इससे मां पार्वती और भोलेनाथ जल्द प्रसन्न होते हैं.
गौरीशंकर को फल, मिठाई और गणेश जी को मोदक या बेसन के लड्डू का भोग लगाएं. धूप, दीप लगाकर हरतालिका तीज व्रत की कथा सुनें. इस दिन शिव चालीसा और पार्वती चालीसा का पाठ करना चाहिए.
अब आरती कर रात्रि जागरण करें. इस दिन रात में सोना निषेध है. रात्रि में महादेव और सभी देवी-देवताओं के भजन करना चाहिए. अगले दिन सुबह स्नान के बाद पूजा-आरती करने के बाद गौरीशंकर की प्रतिमा का विसर्जन करें और फिर जल ग्रहण करके ही व्रत का पारण किया जाता है.
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