नई दिल्ली । हरतालिका तीज व्रत(Hartalika Teej Fasting) 6 सितंबर यानी शुक्रवार को सुहागिन महिलाएं तीज(Married women celebrate Teej) का व्रत करेंगी। यह व्रत पति की लंबी आयु(Long life of husband) की कामना के लिएकिया जाता है। इस बार पूर्णिमा तिथि(Full moon date) एक दिन पहले शुरू हो जाएगी, लेकिन उदया तिथि के अनुसार हरतालिका तीज व्रत 6 सितंबर को रखा जाएगा। पंचांग के आधार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 5 सिंतबर को 12:21 रात से शुरू होगी और 6 सितंबर को 03:01 रात को समाप्त होगी। इस बार हरतालिका तीज व्रत शुक्रवार को है, इसलिए इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है।
भगवान शिव की पूजा है, इसलिए हरतालिका तीज व्रत प्रदोष काल में शुभ माना जाता है। इसलिए इसकी पूजासूर्यास्त के समय की जाती है। इस दिन मिट्टी के गौरी शंकर बनाए जाते हैं। जो लोग सुबह पूजा करते हैं वो शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें। पूजा से पहले सुहागिन स्त्रियां अच्छे से तैयार होती हैं बालू या शुद्ध काली मिट्टी से शिव-पार्वती और गणेश जी की मूर्ति बनाती हैं। अच्छे से पूजा की जगह को सजाती हैं। केले के पत्तों से मंडप बनाए जाते हैं। गौरी-शंकर की मूर्ति पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित की जाती है और गंगाजल, पंचामृत से उनका अभिषेक किया जाता है। इनके साथ गणेश जी भी होते हैं और उन्हें दूर्वा और जनेऊ चढ़ाते हैं। शिव जी को चंदन, मौली, अक्षत, धतूरा, आंक के पुष्प, भस्म, गुलाल, अबीर, 16 प्रकार की पत्तियां आदि अर्पित किया जाता है। मां पार्वती को साड़ी और सुहाग की सामग्री चढ़ाएं। अगले दिन सुबह आखिरी प्रहर की पूजा के बाद माता पार्वती को चढ़ाया सिंदूर अपनी मांग में लगाया जाता है। मिट्टी के शिवलिंग का विसर्जन कर दें और सुहाग की सामग्री ब्राह्मणी को दान में दें। प्रतिमा का विसर्जन करने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है।
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