नई दिल्ली। श्रावण मास (shravan month) के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर रविवार को हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं (married women) पति की लंबी उम्र और उत्तम स्वास्थ्य के निर्जला व्रत रखती है। सावन में पड़ने के कारण इस तीज को हरियाली तीज (Hariyali Teej) कहते हैं। सुहागिनों के लिए तो सावन विशेष है ही इस दौरान पड़ने वाले व्रत और त्योहार भी विशेष है। इन्ही में से एक है हरियाली तीज। सुहागिन महिलाए निर्जला व्रत रखकर इस परंपरा का निर्वहन करती हैं तो वहीं नवविवाहिताओं के लिए यह त्योहार खास होता है।
सिंधारा के श्रृंगार से सजेंगी महिलाएं :
दरअसल नवविवाहिताओं को उनके मायके से सिंधारा मिलता हैं। हरियाली तहज से एक दिन पूर्व सिंधारा मनाया जाता है। इस सिंधारा में साड़ी व श्रृंगार की चीजें होती हैं। इसी सिंधारा की पूजा कर अगले दिन हरियाली तहज पर इसी श्रृंगार की सामग्री से व्रती सोलह श्रृंगार करती हैं।
क्या है हरियाली तीज की कथा :
पौराणिक कथा के अनुसार मां पार्वती (Maa Parvati) की वर्षो की साधना के बाद इस दिन भगवान शिव से मिली थी। मान्यता है कि मां पार्वती ने भगवान शिव (Lord Shiva) को पति के रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया था, लेकिन उन्हें महादेव नहीं मिले। जब 108वीं बार जन्म लिया तो उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की। ऐसा माना जाता है कि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि पर ही भगवान शिव मां पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन दिए।
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