देहरादून । किसानों को लेकर पास हुए बिलों का विरोध देश में बढ़ता ही जा रहा है. इसी सिलसिले में आज उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत देहरादून के गांधी पार्क के बाहर धरने पर बैठ गए. उन्होंने संसद की ओर से पारित किसान बिलों के विरोध में दो घंटे का मौन व्रत भी रखा.
इस अवसर पर हरीश रावत ने कहा कि इन अध्यादेशों से किसानों को मिलने वाला न्यूनतम मूल्य समाप्त हो जाएगा. सबके हितों के लिए बनी सस्ते गल्ले की प्रणालि समाप्त हो जाएगी. इसके साथ ही कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग (ठेके पर कृषि) के जरिए किसानों की भूमि बड़े-बड़े पूंजीपतियों के हाथों में चली जाएगी. इससे किसान अपनी ही ज़मीन पर मजदूर बनकर रह जायेगा.
वहीं, उत्तराखण्ड की पूर्व सीएम हरीश रावत ने सरकार पर यह भी आरोप लगाया है कि सरकार बहुमत की वजह से किसानों का गला घोंटने का काम कर रही है. किसानों के लिए किये गये बड़े-बड़े वादे धरातल पर फेल हैं. हरीश रावत ने ये भी कहा कि पंजाब में कांग्रेस ने इन अध्यादेशों का विरोध किया है. पंजाब कांग्रेस 23 सितम्बर को दिल्ली में इसको लेकर सरकार के खिलाफ मार्च निकालेगी.
गौरतलब है कि केंद्र की मोदी सरकार में अपने सहयोगियों के बीच इस बिल को लेकर विरोध शुरू हो गया है। इन दो बिलों को लेकर भाजपा सरकार में केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दे दिया है. जिन्हें आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा स्वीकार भी कर लिया गया। उन्होंने इन बिलों को किसान विरोधी बताया. हरसिमरत ने कहा कि वह किसानों के संघर्ष में उनके साथ खड़ी हैं. वहीं, बिलों को लेकर विपक्ष पहले से ही हमलावर है.
दूसरी ओर बिल का विरोध करने वालों को जवाब देने के लिए ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगे आए हैं. उन्होंने ट्वीट किया, ” किसानों को भ्रमित करने में बहुत सारी शक्तियां लगी हुई हैं. मैं अपने किसान भाइयों और बहनों को आश्वस्त करता हूं कि MSP और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी. ये विधेयक वास्तव में किसानों को कई और विकल्प प्रदान कर उन्हें सही मायने में सशक्त करने वाले हैं.”
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