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कांग्रेस के ‘बागियों’ की घर वापसी पर हरीश रावत खफा, बताया ‘महापापी’

October 13, 2021


देहरादुन । उत्तराखंड में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (Uttrakhand Assembly Election 2022) से पहले नेताओं का पार्टी बदलने का सिलसिला भी शुरू हो गया है । उत्तराखंड कांग्रेस (Uttrakhand Congress) में कई नेता वापसी करना चाह रहे हैं, लेकिन सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Harish Rawat) इस बात से खफा (Angry) हैं । हरीश रावत ने बागियों (Rebels) को ‘महापापी’ (‘Mahapapi’) बताया है ।


हरीश रावत ने कहा कि जिन महापापी लोगों ने 2016 में कांग्रेस की सरकार गिराने का महापाप किया है, जब तक वो सार्वजनिक रूप से अपनी गलती मानते हुए माफी नहीं मांगते, तब तक वो उनको कांग्रेस में वापस लेने के पक्ष में नहीं हैं ।
उन्होंने ये भी कहा कि इस महापाप से उत्तराखंड पर भी कलंक लगा है, इसलिए जब तक वो गलती नहीं मानते हैं और कांग्रेस के साथ निष्ठा से खड़े होने की बात स्वीकार नहीं करते हैं, तब तक ऐसे लोगों को कांग्रेस में शामिल नहीं किया जाना चाहिए ।
हाल ही में यशपाल आर्य और उनके बेटे ने बीजेपी छोड़ कांग्रेस में वापसी की है । माना जा रहा है कि और भी कई नेता वापसी करने की सोच रहे हैं, लेकिन हरीश रावत बाधा बनकर खड़े हुए हैं । हरीश रावत ने बागियों को ‘महापापी’ बता कर इस ओर इशारा किया है कि 2016 में उनकी सरकार गिराने वाले कांग्रेस विधायकों से वो अब तक नाराज हैं ।
हालांकि, रावत कई नेताओं की वापसी को तैयार हैं और मानते हैं कि किसी के बहकावे में आकर उन्होंने ऐसा किया. पर हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल और विजय बहुगुणा जैसे लोगों को किसी भी हाल में कांग्रेस में वापसी के पक्ष में नहीं हैं ।

एक और वजह ये भी मानी जा रही है कि जिस तरह से सभी कद्दावर नेताओं का एक साथ जाना हुआ, उससे भले ही कांग्रेस 2017 के चुनाव में अपनी सरकार न बना पाई हो, मगर हरीश रावत एकमात्र प्रदेश के ऐसे नेता रह गए, जिनका कद सबसे बड़ा रह गया, लेकिन यशपाल आर्य के आने से कहीं न कहीं उनको अब चुनौती का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि खुद हरीश रावत अपने एक बयान में ये कह चुके हैं कि वो उत्तराखंड में भी पंजाब की तरह एक दलित मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं ।
ऐसे में यशपाल आर्य जो एक बड़ा दलित चेहरा माने जाते हैं उनके कांग्रेस में वापसी करने से कहीं न कहीं हरीश रावत के अपने कद पर संकट आना तय माना जा रहा है । इसके अलावा वो बाकी बचे हुए नेताओं की घर वापसी के पक्ष में नजर नहीं आते, क्योंकि ऐसा करने से उनकी मुश्किलें कम होने की बजाय बढ़ने की उम्मीद ज्यादा है ।

2016 में हरीश रावत की सरकार गिराने में सबसे आगे रहे हरक सिंह रावत ने भी हरीश रावत के महापापी वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि 2017 में जनता ने बताया था कि कौन महापापी है और अगर मैं या मेरे साथी महापापी थे तो जनता ने हमें क्यों जिताया और हरीश रावत जो जनता की दुहाई दे रहे थे उनको क्यों हराया ?
उन्होंने कहा, 2017 के विधानसभा चुनाव में हरीश रावत ने उत्तराखंड की जनता से अपील भी की थी कि ऐसे लोगों को जनता सबक सिखाए, जिन्होंने हरीश रावत का साथ छोड़ा, लेकिन उत्तराखंड की जनता ने उन सभी लोगों को जिताने का काम किया, जबकि हरीश रावत खुद चुनाव हार गए और वो भी एक नहीं दो-दो जगह से, इसलिए समझा जा सकता है कि जनता ने पापी किसे समझा और सजा किसे दी ?

दरअसल, 2016 में उत्तराखंड में अचानक राजनीतिक हालत बिगड़ गए थे. तब विजय बहुगुणा और हरक सिंह रावत की अगुवाई में कांग्रेस के 9 विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया था, जिससे हरीश रावत की सरकार गिर गई थी । बाद में रावत हाईकोर्ट पहुंचे थे और हाईकोर्ट के आदेश पर उनकी सरकार बहाल हुई थी । हालांकि, 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को करारी हार मिली थी । खुद हरीश रावत ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था और दोनों जगहों पर हार गए थे ।

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