देहरादून । उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कुम्भ मेला-2021 में संतों, महात्माओं और अखाड़ों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु सचिवालय में बैठक की। बैठक में कहा गया कि कुम्भ मेला का आयोजन तय समय पर होगा। मेला से सम्बन्धित स्थाई कार्यो को 15 दिसम्बर के पूर्व करने का निर्देश दिया गया। कोरोना को लेकर सभी आवश्यक उपाय किये जाएंगे।
कुम्भ मेला में अखाड़ा परिषद के प्रतिनिधियों का सहयोग लेने के लिए बुलाई गई बैठक में कुम्भ मेला की तैयारी को लेकर चर्चा की गई। बैठक में कहा गया कि छड़ी यात्रा पर्व की तरह सन्देश देने का आयोजन धर्मस्व विभाग सितंबर में करेगा। बैठक में बताया गया कि 2010 में कुम्भ मेला में प्रयोग किया गया क्षेत्र ही इस बार मेला में होगा। सन्तों ने जल समाधि की जगह भू समाधि लेने की बात कही, जिसे सहमति प्रदान की गई। नील धारा में अखाड़े के इष्ट देव के नाम 13 अखाड़ों के नाम पर घाट बनाने पर सहमति बनी। मनसा देवी हिल बाई पास मार्ग मेला अवधि में खुला रहेगा। कुंभ मेला में साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। सौंदर्य का आधार स्वच्छता रहेगी।
बैठक में कहा गया कि कुम्भ मेला की शोभा संत, महात्मा होते हैं। सन्तों के सहयोग से भव्य दिव्य कुम्भ होगा। रामजन्म भूमि में सन्तों और महात्माओं के सहयोग के लिए आभार प्रकट किया गया। बैठक में बताया गया कि कोरोना का प्रभाव मेला की तैयारी पर पड़ा है लेकिन मेला परम्परागत रूप में तय समय पर ही होगा। फरवरी में अंतिम रूप से मेला के स्वरूप पर निर्णय लिया जाएगा।
बैठक में अखाड़ा परिषद अध्यक्ष स्वामी नरेंद्र गिरी, महामंत्री हरिगिरि महाराज सहित समस्त अखाड़ों के प्रतिनिधि, नगर विकास मंत्री मदन कौशिक, मुख्य सचिव ओम प्रकाश, सचिव नगर विकास शैलेश बगोली, डीजीपी (कानून व्यवस्था) अशोक कुमार, मेलाधिकारी दीपक रावत और आईजी संजय गुंज्याल इत्यादि मौजूद थे।
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