पौराणिक मान्यता के अनुसार संसार के पालनकर्ता भगवान विष्णु यानि हरि देवशयनी एकादशी के बाद हर यानी भगवान शंकर (महाकाल) को जिम्मेदारी सौंपकर विश्राम के लिए चले जाते हैं। देवउठनी एकादशी के बाद हर उन्हें वापस सत्ता सौंप देते हैं। महाकाल की नगरी में ये परंपरा उत्साह से निभाई जाती है। शनिवार की देर रात भगवान महाकाल अपनी चांदी की पालकी में सवार होकर गोपाल मंदिर द्वारकाधीश से मिलने पहुंचेंगे और रात 12 बजे हरि का हर से मिलन होगा।
महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने बताया कि परम्परा अनुसार महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप से रात्रि 11 बजे श्री महाकालेश्वर भगवान की पालकी धूम-धाम से गुदरी चौराहा, पटनी बाजार होते हुए गोपाल मंदिर पहुंचेगी। वहां पूजन के दौरान बाबा महाकालेश्वर बिल्व पत्र की माला गोपाल जी को भेंट करेंगे एवं बैकुण्ठनाथ अर्थात श्री हरि तुलसी की माला बाबा श्री महाकाल को भेट करेंगे। पूजन के बाद श्री महाकालेश्वर की सवारी पुन: इसी मार्ग से श्री महाकालेश्वर मंदिर वापस आएगी। सवारी के साथ मंदिर के पुजारी, पुरोहित, कर्मचारी, अधिकारी सम्मिलित होंगे।
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