हिंदु धर्म में धार्मिक त्योहारों का व व्रत का विशेष महत्व (Special importance) है हर एक धार्मिक त्यौहार बड़े ही श्रद्वाभाव के साथ मनाया जाता है । अब 9 अप्रैल 2021 यानि कल चैत्र मास का प्रथम प्रदोष व्रत (First Pradosh fast) है। धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत त्रयोदशी (Trayodashi) की तिथि को मनाया जाता है। शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत होने के कारण इसे शुक्र प्रदोष व्रत (shukr pradosh vrat) भी कहा जाता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित है। इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) के साथ माता पार्वती और संपूर्ण शिव परिवार की पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। इसके साथ ही प्रदोष व्रत दांपत्य जीवन में भी खुशियां लाता है।
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
पूजा का समय: 9 अप्रैल की शाम 5 बजकर 55 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 12 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त- 9 अप्रैल सुबह 04:19 बजे से 10 अप्रैल सुबह 04:05 तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:45 बजे से दोपहर 12:36 बजे तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:17 बजे से दोपहर 03:07 बजे तक
प्रदोष व्रत की विधि
प्रदोष व्रत की पूजा थाली में भगवान शिव की प्रिय चीजों का सजाया जाता है। पूजा की थाली में पुष्प, 5 प्रकार के फल, मिष्ठान, अबीर, गुलाल, चंदन, अक्षत, धतूरा, बेलपत्र, कपूर रखे जाते हैं।
प्रदोष व्रत को कठिन व्रतों में से एक माना गया है। कुछ स्थानों पर इस व्रत को निर्जला रखने की भी परंपरा है। प्रदोष व्रत में नियमों का विशेष ध्यान रखा जाता है। इसके साथ ही स्वच्छता का भी विशेष महत्व है। प्रदोष व्रत पूरे दिन रखा जाता है और इस व्रत में फलाहार किया जाता है। उपवास के दौरान गलत विचारों से दूर रहा जाता है और भगवान शिव (Lord Shiva) का स्मरण किया जाता है। भोजन में नमक, मिर्च का सेवन न करें।
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