– गोल्ड सिटी की जालसाजी में सेशन कोर्ट ने जमानत देने से किया इनकार
इंदौर। गोल्ड सिटी के नाम पर जालसाजी के मामले में फंसे हैप्पी धवन को जमानत देने से अदालत ने सहअभियुक्त चिराग शाह के फरार होने व सबूतों को प्रभावित करने के डर से साफ इनकार कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार बाणगंगा थाने में दर्ज केस में जितेंद्र उर्फ हैप्पी धवन पिता सूरजप्रकाश धवन निवासी मनीषपुरी एक्सटेंशन के अलावा बिल्डर चंपू उर्फ रितेश अजमेरा, चिराग शाह, निकुल कापसी व अन्य लोग मुलजिम है। इल्जाम है कि उन्होंने ग्राम भांगिया में कालिंदी गोल्ड सिटी बसाने के नाम पर फरियादी कमलकांत, शिवकुमारी व ऋषिकुमार मिश्रा को गलत तरीके से तीन प्लाट बेचें और धन ऐंठा लेकिन न तो उनके पक्ष में रजिस्ट्री करार्इं और न उन्हें पैसा ही वापस लौंटाया। बाणगंगा थाने में इस मामले में उनके खिलाफ इसी साल आईपीसी की धारा 420, 406, 467, 468, 471 आदि में धोखाधड़ी, गबन, दस्तावेजों में कूटरचना के इल्जाम में केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने हैप्पी को गत 6 जून को पुराने मामलों में गिरफ्तार किया था, वह अभी जेल में है। उसने जिला कोर्ट में अर्जी पेश कर इस ताजे केस में जमानत पर छोड़े जाने की गुजारिश की थी। उसका तर्क था कि उसका कालिंदी गोल्ड सिटी से कोई संबंध नहीं है। उसने फरियादी से कोई लिखापढ़ी नहीं की है और न उसका चंपू-चिराग से कोई संबंध है। जमीन की जो सौदेबाजी हुई थी वह भी सिविल प्रकृति का मामला है।
इस मामले में फरियादी कमलकांत ने जमानत देने पर यह कहकर गहरी आपत्ति ली थी कि मामले में उसे जमानत मिली तो वह उसे धमकाएगा, मामले में पहले से ही चिराग शाह फरार चल रहा है। पुलिस ने बताया था कि अकेले हैप्पी के खिलाफ ही बाणगंगा थाने में छह आपराधिक प्रकरण दर्ज है। उसे जमानत मिली तो गवाह व सबूत प्रभावित होंगे। जज संजीव जैन ने मामले में चिराग के फरार होने का हवाला देते हुए यह कहकर जमानत अर्जी सिरे से निरस्त कर दी कि मुलजिम को जमानत दी गई तो वह साक्ष्य को प्रभावित कर सकता है।
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