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    UAP Act में फरार प्रतिबंधित संगठन का सदस्य हनीफ शेख 22 साल बाद गिरफ्तार

  • February 26, 2024

    नई दिल्ली (New Delhi)। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल (Delhi Police Special Cell) ने प्रतिबंधित संगठन सिमी (Banned organization SIMI) के थिकटैंक व सक्रिय सदस्य रहे हनीफ शेख (Hanif Shaikh) (47) को 22 साल बाद गिरफ्तार (arrested after 22 years) किया है। आरोपी महाराष्ट्र (Maharashtra) में भेष बदलकर उर्दू स्कूल में पढ़ा रहा था। वह वर्ष 2001 में न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी थाने में दर्ज यूएपीए व राजद्रोह के मामले में वांछित था। अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित किया हुआ था। हनीफ सिमी पत्रिका इस्लामिक मूवमेंट (SIMI Patrika Islamic Movement) (उर्दू संस्करण) के संपादक थे। आरोपी ने 25 वर्षों के दौरान युवाओं को कट्टरता के बारे में पढ़ाया। वह महाराष्ट्र में यूएपी एक्ट के अन्य मामलों और अन्य राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में भी शामिल रहा है।


    स्पेशल सेल के पुलिस उपायुक्त आलोक कुमार के अनुसार एसीपी वेदप्रकाश की देखरेख में इंस्पेक्टर पवन कुमार व एसआई सुमित की टीम सिमी के फरार हनीफ शेख समेत अन्य सदस्यों के बारे में पता कर रही थी। इंस्पेक्टर पवन की टीम ने इंस्पेक्टर करमवीर के साथ मिलकर कई राज्यों में फरार सिमी कैडरों, उनके समर्थकों और स्लीपर सेल के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रही थी। इस टीम ने देश के विभिन्न हिस्सों विशेषकर दिल्ली/एनसीआर, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु का दौरा कर जानकारी एकत्रित की।

    जांच के दौरान इंस्पेक्टर पवन को हनीफ शेख के बारे में सूचना मिली कि वह हनीफ हुडाई ने अपनी पहचान बदलकर मोहम्मद के रूप में कर ली है। हनीफ और अब महाराष्ट्र के भुसावल में एक उर्दू स्कूल में शिक्षक के नौकरी कर रहा है। पुलिस टीम ने आशा टावर, खड़का रोड, भुसावल महाराष्ट्र के पास घेराबंदी कर 22 फरवरी को मोहम्मददीन नगर से खड़का रोड की ओर आ रहे आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। दिल्ली की एक अदालत ने वर्ष 2002 में हनीफ शेख को भगोड़ा घोषित कर दिया था। आरोपी ने महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश में सिमी संगठन की बैठकों में भाग लेने, आयोजित करने जैसी सभी घटनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह अक्सर पुलिस को चकमा देने में कामयाब जो जाता था।

    क्या है सिमी
    स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का गठन 1976 में यूपी के अलीगढ़ में हुआ था। इस संगठन का विचार दार-उल-इस्लाम (इस्लाम की भूमि) की स्थापना करना है। जिहाद और शहादत सिमी के मूल नारे थे। विभिन्न राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में सिमी कार्यकर्ताओं की संलिप्तता के कारण सरकार ने सिमी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

    सिमी के अन्य सदस्य ऐसे हुए गिरफ्तार
    सिमी के पदाधिकारी दिल्ली के जामिया नगर में अपने मुख्यालय के पास एक संवाददाता सम्मेलन को 27 सितंबर, 2001 को संबोधित कर रहे थे तभी पुलिस ने छापा मारकर कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। कई सिमी कैडर घटनास्थल से फरार हो गए थे। संगठन मुख्यालय से सिमी पत्रिकाएं (इस्लामिक मूवमेंट), फ्लॉपी में ऑडियो/वीडियो, सिमी पोस्टर, कंप्यूटर, फोटो एलबम के रूप में आपत्तिजनक सामग्री और उत्तेजक साहित्य बरामद किया गया था।

    सिमी का अंसार बन गया था हनीफ
    हनीफ शेख ने वर्ष 1997 में मारुल जलगांव से शिक्षा में डिप्लोमा किया। वह 1997 में सिमी संगठन में शामिल हो गया। इसके बाद ये सिमी का अंसार (पूर्णकालिक कार्यकर्ता) बन गया। सिमी कार्यकर्ताओं के संपर्क में आने के बाद वह अत्यधिक कट्टरपंथी बन गया। सिमी संगठन में शामिल होने के बाद हनीफ शेख ने सिमी के साप्ताहिक कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू कर दिया और मुस्लिम युवाओं को संगठन में शामिल करने के लिए कट्टरपंथी बनाना भी शुरू कर दिया।

    पत्रिका का संपादक बना दिया
    हनीफ के प्रबल उत्साह से प्रभावित होकर सिमी के तत्कालीन अध्यक्ष साहिद बदर ने वर्ष 2001 में हनीफ शेख को सिमी पत्रिका इस्लामिक मूवमेंट के उर्दू संस्करण का संपादक बनाया। उन्होंने उक्त पत्रिका में मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों को गलत तरीके से उजागर करते हुए कई उत्तेजक लेख लिखे थे। हनीफ शेख का सफदर हुसैन नागोरी, अब्दुस शुभान कुरेशी उर्फ तौकीर, नोमान बदर, शाहनाज हुसैन, सैफ नाचैन, मोहम्मद के साथ घनिष्ठ संबंध थे।

    नया संगठन बनाया गया
    समय बीतने के साथ वरिष्ठ सदस्यों ने वहादत-ए-इस्लाम के नाम और शैली में नए संगठन की स्थापना की। इस संगठन के अधिकांश सदस्यों की पृष्ठभूमि सिमी से ही था। इस संगठन का मूल एजेंडा मुस्लिम युवाओं को एकजुट करना और कट्टरपंथी इस्लाम के सिद्धांत का प्रचार करना भी है।आरोपी हनीफ शेख वहादत-ए-इस्लाम के थिंक टैंक सदस्यों में से एक है और महाराष्ट्र और अन्य आसपास के राज्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा था। वह प्रतिबंधित संगठन सिमी के साथ-साथ वहादत-ए-इस्लाम के एजेंडे के समर्थन और वित्तपोषण के लिए दान की आड़ में धन एकत्र करने में भी शामिल है। इसके खिलाफ पहले से चार आपराधिक मामले दर्ज हैं।

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