इंदौर। सावन के महीने में मौसम सुहावना होता है, लेकिन इस बार तीसरा सप्ताह बीतने के बाद भी तेज गर्मी और उमस से लोग परेशान हैं। दरअसल हवाओं की तेज गति के कारण मानसून मालवा में ठहर नहीं पा रहा या यहां आते-आते कमजोर हो रहा है। आधा सावन बीतने के बाद भी लोगों को बारिश का इंतजार है।
किसानों की फसलें खेतों में लहरा रही हैं, लेकिन आसमान से पानी बरसने का इंतजार है। फसलें फ्लॉवरिंग स्टेज में हैं। इस समय पानी की अत्यधिक आवश्यकता होती है। जुलाई के 12 दिन शेष बचे हैं, इस समय पानी फसलों को नहीं मिला तो फूल झडऩे के साथ सोयाबीन को नुकसान पहुंचने के आसार हैं। इस समय सूरज की गर्मी फसलों के लिए नुकसानदायक है। तापमान की बात करें तो पिछले 3 दिनों में तेज गर्मी के कारण 3 से 4 डिग्री का उछाल आ गया है। जो अधिकतम तापमान 29 डिग्री के नीचे जा रहा था वह अब 33 डिग्री करीब पहुंच रहा है। वहीं रात के तापमान में भी बढ़ोतरी हुई है। लोग पंखे और कूलर के बगैर रात नहीं गुजार पा रहे हैं। सावन के महीने में मालवा के लोगों को इस प्रकार की आदत नहीं होती। इंदौर में बारिश की बात करें तो 11 इंच औसत बताई जा रही है।
खंभात की खाड़ी में क्लाइमेट बने तो हो बरसात
मालवा में बारिश दक्षिण-पश्चिम हवाओं के चलते होती है, लेकिन इस बार हवाओं की गति कुछ ज्यादा तेज है और इसमें बार-बार परिवर्तन भी हो रहा है। अरब सागर में जो क्लाइमेट बन रहा है वह मालवा तक नहीं पहुंच पाता, वहीं खंभात की खाड़ी में कोई नया क्लाइमेट बनता है तो मालवा में बारिश की संभावना होती है। कृषि महाविद्यालय मौसम सेवा केंद्र की मानें तो फिलहाल इंदौर में बारिश की संभावना कम ही है। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सोयाबीन की फसल में डोरे कुलपे चलाने के निर्देश जारी किए हैं, ताकि मिट्टी में नमी बरकरार रहे।
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