नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े अस्पताल दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS) की रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है. कोरोना काल के बाद बच्चों में निकट दृष्टि दोष (Myopia in Children) के मामले में दोगुना बढ़ोतरी हो रही है. दिल्ली एम्स ने अपने एक अध्ययन में पाया है कि कोरोना काल के बाद बच्चों की ऑनलाइन क्लास, स्मार्ट फोन और कंप्यूटर पर गेम खेलने की लत से आंखें कमजोर हो रही हैं.
एम्स के मुताबिक कोरोना महामारी से पहले जब अध्ययन कराया गया तो शहरी आबादी में 5 से 7 प्रतिशत बच्चों में निकट दृष्टि दोष मिलता था, लेकिन कोरोना काल के बाद कराए गए अध्ययन में यह संख्या बढ़कर 11 से 15 फीसदी हो गई.
एम्स दिल्ली के मुताबिक, ‘यदि बच्चों में डिजिटल स्क्रीन की लत और निर्भरता इसी तरह रही तो साल 2050 तक देश में 50 फीसदी बच्चे मायोपिया यानी निकट दृष्टि दोष रोग से पीड़ित हो जाएंगे. ऐसे में नजर कम होने की वजह से देश की आधी आबादी सेना और पुलिस की नौकरी में जाने से अयोग्य हो जाएगी!’
क्या कहते हैं डॉक्टर
डॉक्टर टिटियाल के मुताबिक, ‘बच्चों की आंखें सुरक्षित रखने के लिए में स्कूलों में प्रशिक्षण और दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करने की जरूरत है. इसके लिए बच्चों को स्कूलों से एक घंटे का ब्रेक मिलना जरूरी है और दिन में दो घंटे से ज्यादा डिजिटल स्क्रीन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. नजर कम होने पर चश्मा जरूर लगाएं. ऐसा न करने पर नजर और कमजोर हो जाती है. इसके साथ साल में एक बार बच्चों को आंख जरूर जांच करवा लें.
मायोपिया से ऐसे बचें
आपको बता दें कि लगभग सभी उम्र के किसी न किसी पड़ाव में आंख संबंधी दिक्कतें सामने आती है, लेकिन हाल के वर्षों में यह दिक्कतें तेजी से सामने आ रही है. आखों की ये समस्याएं अगर उम्र के अनुसार हो तो ठीक है, लेकिन कई बार काफी कम उम्र में ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. पिछले कुछ समय में बच्चों में आंख में पेरशानी के मामले तेजी से बढ़े हैं. अगर हम अपने आसपास गौर करें तो हमें कई ऐसे बच्चे दिखाई देंगें जिनकी उम्र काफी कम है लेकिन उन्हें बिना चश्में के देखने में काफी दिक्कत होती है.
बच्चों की आंखों में दिक्कत के लक्षण
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved