उज्जैन। धार्मिक शहर उज्जैन के नए तथा पुराने शहर में कुल 6 अटल रैन बसेरे हैं। जिला अस्पताल परिसर में भी एक रैन बसेरा बना हुआ है। बावजूद इसके लोगों को रैन बसेरों की जानकारी नहीं होने के कारण उन्हें अस्पताल के बाहर खुले में रात गुजारनी पड़ रही है। नगर निगम भी बेघर लोगों का सहयोग करने की बजाय ध्यान नहीं दे रहा है। मौसम में बदलाव के साथ ही अब ठंड का दौर शुरु हो गया है पिछले एक पखवाड़े से लगातार शहर में रात का तापमान 10 से 13 डिग्री बना हुआ है और लोग घरों में भी ठिठुर रहे हैं। नगर निगम ने सिंहस्थ 2016 के पूर्व शहर में 6 अटल रैन बसेरे तैयार करवाए थे।
इनमें गाड़ी अड्डा स्थित कृषि उपज मंडी मुख्य द्वार के सामने, जिला अस्पताल परिसर में पुराने शिशु वार्ड के पीछे, दूध तलाई स्थित नगर निगम झोन कार्यालय के पीछे, देवासगेट बस स्टैण्ड के ऊपर, घासमंडी चौराहा तथा नानाखेड़ा बस स्टैण्ड शामिल हैं। शुरुआत से ही नगर निगम के इन रैन बसेरों में परेशानी यह रही है कि अधिकारी रैन बसेरों के आसपास संकेतक बोर्ड या नाम लिखकर लोगों को जानकारी देने की कभी कोशिश नहीं की जाती। इस कारण लोग रैन बसेरे नजदीक होने के बावजूद खुले में रात बिताने को मजबूर हो जाते हैं। लोगों को इनकी जानकारी नहीं मिल पाती। इस बार भी यही हालात देखने को मिल रहे हैं। पिछले 1 सप्ताह से शुरू हुई कड़ाके की सर्दी के दौरान जानकारी के अभाव में बाहर से आए यात्री रैन बसेरों तक नहीं पहुँच पा रहे हैं। मजबूरी में लोग जिला अस्पताल परिसर के आसपास देवासगेट परिसर क्षेत्र, माधव कॉलेज की बाउंड्रीवाल से लेकर नानाखेड़ा बस स्टैण्ड के आसपास भी कई लोग रात में खुले में रात गुजारते नजर आ रहे हैं। जिला अस्पताल परिसर में तो भर्ती मरीजों के परिजनों की परेशानी यह है कि उन्हें भी टीबी अस्पताल के आसपास और पुराने शिशु वार्ड परिसर में बने शेड के नीचे रात गुजारना पड़ रही है। कल रात भी कई लोग बाहर अस्पताल के फुटपाथ पर खुले में रात बिताते नजर आए। नगर निगम ऐसे बेघरों की सुध नहीं ले रही है।
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