नई दिल्ली । लद्दाख की वादियों में उड़ान भरकर भारतीय वायुसेना और सेना के परीक्षण में खरे उतरे स्वदेशी लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच) का औपचारिक ऑर्डर अगले माह एयरो इंडिया के दौरान एचएएल को मिलने की उम्मीद है। फाइनल ऑपरेशनल क्लीयरेंस (एफओसी) मिलने से पहले एचएएल ने इस विमान का आईओसी संस्करण सेना को सौंप दिया है। साथ ही 31 मार्च से पहले तीन विमानों का पहला बैच देने को तैयार है।एचएएल ने अगले साल अगस्त, 2022 से विमानों का उत्पादन शुरू करने का फैसला लिया है। इस स्वदेशी लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर को जंगी बेड़े में शामिल करके पुराने पड़ चुके उन चीता हेलीकॉप्टरों को रिटायर किया जाना है, जिनसे वायुसेना की फ़्लाइट लेफ़्टिनेंट गुंजन सक्सेना ने कारगिल वार में पाकिस्तानियों के छक्के छुड़ाए थे।
हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने परीक्षण के लिए दो हेलीकॉप्टर 19 अगस्त, 2020 को लद्दाख भेजे थे। चीन सीमा पर चल रहे टकराव के चलते गर्म आसमानी माहौल में एलयूएच ने अपने अंतिम परीक्षण पूरे किये। इस दौरान हिमालय के गर्म और उच्च मौसम की स्थिति में उड़ान भरने के साथ ही उच्च ऊंचाई वाले हेलीपैड पर लैंडिंग करने की क्षमता का भी सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया। परीक्षण के दौरान स्वदेशी लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच) ने लेह में 3300 मीटर की ऊंचाई पर अंतरराष्ट्रीय मानक वातावरण 32 डिग्री सेल्सियस तापमान पर उड़ान भरी। लेह से उड़ान भरकर 5000 मीटर की ऊंचाई पर दौलत बेग ओल्डी के एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड पर उतरने का प्रदर्शन किया। इसके बाद एक अन्य अग्रिम हेलीपैड पर 5500 मीटर की ऊंचाई पर 27 डिग्री सेल्सियस तापमान में इसका प्रदर्शन किया गया। इस दौरान सियाचिन ग्लेशियर में अति-ऊंचाई वाले हेलीपैड पर पायलेट्स ने उतारकर पेलोड क्षमता जांची। एलयूएच ने परीक्षण के दौरान लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भी उड़ान भरकर अपनी उपयोगिता साबित की।
हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने खुद 24 अगस्त, 2020 से दो सितम्बर के बीच दुनिया के सबसे ऊंचे हवाई क्षेत्र दौलत बेग ओल्डी में इन विमानों का परीक्षण किया। इस दौरान हेलीकॉप्टर ने बेंगलुरू से लेह के बीच तीन दिनों में 3000 किलोमीटर लंबी उड़ान भरी। उस समय यह कई नागरिक व सैन्य एयरफील्ड से गुजरकर परीक्षण में खरा उतरा। एलयूएच ने 2018 में नागपुर और चेन्नई के गर्म मौसम में, 2019 में जम्मू-कश्मीर के ठंडे वातावरण में और पुडुचेरी में 2019 में समुद्र स्तरीय परीक्षण पूरा किया है। इन परीक्षणों के दौरान एचएएल की ओर से विंग कमांडर (रिटायर्ड) उन्नी पिल्लई, विंग कमांडर (रिटायर्ड) अनिल भाम्बानी, ग्रुप कैप्टन (रिटायर्ड) पुपिंदर सिंह, भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन वी पंवार, आर दुबे स्क्वाड्रन लीडर जोशी तथा भारतीय सेना की ओर से लेफ्टिनेंट कर्नल ग्रेवाल और पवन शामिल रहे।
एचएएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आर माधवन ने कहा है कि ट्रायल प्रदर्शनों से दोनों सेनाओं के संतुष्ट होने के बाद रक्षा मंत्रालय से 15 हेलीकॉप्टरों का पहला ऑर्डर मिलना है। इसमें से 3 हेलीकॉप्टरों का पहला बैच 31 मार्च से पहले सेना को सौंप दिया जायेगा। उच्च ऊंचाई पर संचालन के लिए डिजाइन किए गए हल्के हेलीकॉप्टरों का अगस्त, 2022 बड़े पैमाने पर निर्माण करने का निर्णय लिया गया है। सेना और वायु सेना से बड़ा आदेश मिलने से पहले सीमित संख्या में उत्पादन किया जाएगा। एचएएल ने इस विमान का आईओसी संस्करण सेना को सौंप दिया है। उन्होंने बताया कि एचएएल पहले चरण में 187 हेलीकॉप्टर बनाएगा, जिसमें 126 हेलीकॉप्टर भारतीय सेना को और 61 हेलीकॉप्टर वायुसेना को मिलेंगे। एचएएल ने 28 महीने में सभी हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति करने का वादा किया है। एचएएल पहले और दूसरे साल 90-90 और तीसरे साल के 4 महीनों में बाकी हेलीकॉप्टरों का उत्पादन पूरा करेगा।
लखनऊ में आयोजित डिफेन्स एक्सपो-2020 में 07 फरवरी को लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच) को प्रारंभिक परिचालन मंजूरी (आईओसी) दी गई थी। वायुसेना के साथ कई मोर्चों में शामिल रहे चीता हेलीकॉप्टर की विदाई करके उनकी जगह जंगी बेड़े में इन्हीं एलयूएच को बेड़े में शामिल किया जाना है। चीता हेलीकॉप्टरों ने 40 साल तक वायुसेना में अपनी सेवाएं दी हैं। वायुसेना की फ़्लाइट लेफ़्टिनेंट गुंजन सक्सेना ने इसी चीता हेलीकॉप्टर से कारगिल वार में पाकिस्तानियों के छक्के छुड़ाए थे।
क्या है खासियत
एलयूएच को चीता और चेतक हेलीकॉप्टर्स के विकल्प के तौर पर विकसित किया गया है। इसे भारतीय सेना और वायुसेना द्वारा संचालित किया जाएगा। एचएएल की वेबसाइट के मुताबिक 3 टन वर्ग में यह नई जनरेशन का हेलिकॉप्टर है, जिसमें ग्लास कॉकपिट के साथ मल्टी फंक्शन डिस्प्ले के फीचर्स हैं। इसके अलावा यह हाई एल्टिट्यूड मिशन की जरूरतों को पूरा करते हुए सिंगल टर्बो शाफ्ट इंजन से संचालित होता है। यह 220 किमी. प्रति घंटे, 6.5 किमी की सेवा छत और 500 किलोग्राम पेलोड के साथ 350 किमी की रेंज में उड़ान भरने में सक्षम है। एलयूएच अपने वर्ग के हेलीकॉप्टरों में आने वाले दशकों की उभरती हुई जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगा।
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