नई दिल्ली: झारखंड के मंत्री हफीजुल हसन ने जैसे ही कहा, ‘मुसलमान सब्र में है, कब्र में नहीं’, राजनीति में धमाका हो गया. उन्होंने खुले मंच से कहा, ‘पहले शरीयत है, फिर संविधान. मुसलमान सड़क पर आएगा, मार-काट होगी, देश बर्बाद होगा.’ हसन ने जो कहा, उसका ट्रेलर अब कर्नाटक की सड़कों पर दिखा है. शुक्रवार (18 अप्रैल) को कन्नूर की सड़कों पर हजारों की भीड़. नारों के साथ, झंडों के साथ, गुस्से के साथ. केंद्र सरकार के वक्फ एक्ट में संशोधन के खिलाफ ‘स्टेट उलेमा कोऑर्डिनेशन कमेटी’ ने बवाल खड़ा कर दिया.
ये महज प्रदर्शन नहीं था, ये शक्ति प्रदर्शन था. धमकी थी कि ‘हम अभी जिंदा हैं’. दक्षिण कन्नड़, उडुपी, चिकमंगलूर और कोडागु जैसे जिलों से भीड़ उमड़ी. दावा किया गया कि 3,000 से ज्यादा लोग जुटे. गनीमत रही कि कोई अप्रिय घटना नहीं हुई, लेकिन संदेश साफ था, ‘सरकार, हमसे टकराओ मत.’
वक्फ एक्ट में संशोधन के बाद अब ‘वक्फ बाय यूजर’ खत्म किया गया. मतलब, अगर कोई जमीन सदियों से मस्जिद या कब्रिस्तान के तौर पर इस्तेमाल हो रही है, लेकिन उसका रिकॉर्ड नहीं है, तो अब वो वक्फ नहीं मानी जाएगी. सिर्फ इतना ही नहीं, अगर जमीन पर विवाद है और सरकार उसे सरकारी बता रही है, तो वो वक्फ नहीं रह सकती. यानी सरकारी अफसर तय करेंगे कि कौन-सी जमीन वक्फ होगी.
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