इन्दौर। समीपस्थ सिमरोल (Simrol) के अंतर्गत ग्राम रसकुंडिया के एक आदिवासी किसान नेता (tribal farmer leader) को भरी सभा से पकडक़र ले जाना, उसके साथ मारपीट करना और उसके खिलाफ वन विभाग में कार्रवाई करना एक रेंजर को महंगा पड़ा। रेंजर (Ranger) को विभाग ने संस्पेंड (suspended) कर दिया। यही नहीं किसान नेता के पक्ष में खड़े हुए आदिवासियों ने भाजपा नेताओं के साथ सिमरोल थाने का घेराव किया तो रेंजर सहित तीन अन्य वन विभाग के कर्मचारियों पर एफआईआर भी दर्ज हुई।
मिली जानकारी के अनुसार गत दिवस ग्राम रसकुंडिया में रहने वाले 55 वर्षीय आदिवासी किसान पदम पिता आशाराम भामर पर वन अधिकारियों ने शासकीय भूमि पर अतिक्रमण करने और जंगल में आग लगाने का झूठा प्रकरण दर्ज करते हुए उसको पकडक़र बुरी तरह पीटा था। उसका ट्रैक्टर भी जब्त कर लिया था। आरोप है कि भामर उस दौरान आदिवासियों के साथ बैठक कर रहे थे और बैठक में से वन विभाग का रेंजर कर्मचारियों के साथ उन्हें पकडक़र ले गया था, जिसके बाद आदिवासी समाज के लोग भाजपाइयों के साथ मिलकर सिमरोल थाने पहुंचे और जमकर हंगामा किया।
पुलिस ने भामर की शिकायत पर रेंजर रविकांत जैन, नाकेदार रमेश कटारे, चन्द्रकांत चौहान, जगदीश मण्डलोई के खिलाफ धारा 294, 506, 342, 333 एसटीएसी एक्ट (ST/SC Act ) के तहत प्रकरण दर्ज किया है, वहीं विभाग ने रेंजर को सस्पेंड कर दिया है। नाकेदारों के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई की जा रही है। बताया जा रहा है कि भामर ने रेंजर की शिकायत उच्च अधिकारियों को की थी। सूत्रों का कहना है कि उक्त किसान नेता भाजपा से जुड़ा है।
ऐसे लगी थी आग…किसान नेता का भी पूरे इलाके में होता है सम्मान
बताया जा रहा है कि भामर की पत्नी कचरा जला रही थी। इस बीच वन में आग लग गई। हालांकि आग से ज्यादा नुकसानी नहीं हुई। आग जल्द ही बुझ गई, लेकिन रेंजर ने जो कार्रवाई की उसके बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश था। यह बात सामने आ रही है कि भामर का पूरे इलाके में खासा रसूख है। आदिवासी समाज का हर एक व्यक्ति उनकी बात मानता है। यहां तक कि दोनों राजनैतिक पार्टी के नेता भी उस क्षेत्र के वोट पाने के लिए सबसे पहले भामर को साधते हैं। भामर एक अच्छे वक्ता भी बताए जा रहे हैं।
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