इंदौर। कल रात पालदा औद्योगिक क्षेत्र में बारदाना फैक्ट्रियों में लगी आग के कारण लगभग 18 करोड़ रुपए का नुकसान हो गया। फैक्ट्री मालिक और उद्योगपतियों के संगठन का कहना है , यदि सरकार अथवा प्रशासन ने इस इलाके में फायर ब्रिगेड स्टेशन बनाने की मांग मान ली होती तो दो फैक्ट्रियां जलकर राख नहीं होती और न उनका करोड़ों का नुकसान होता।
कल रात बारदाना बनाने वाली जिन 2 औद्योगिक यूनिट में आग लगी, वह एक ही मालिक नीलेश अग्रवाल की हैं। लगभग 50 हजार स्क्वेयर फीट पर 2 मंजिला फैक्ट्री है। यदि फायर ब्रिगेड सही समय पर आ जाती तो आग दूसरी फैक्ट्री को चपेट में नहीं ले पाती। फायर ब्रिगेड वाहन के देर से पहुंचने के कारण उद्योगपतियों में बहुत आक्रोश है। घटनास्थल पर मौजूद औद्योगिक संगठन एमपी इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश मेहता ने बताया कि आग लगने की घटना रात को लगभग साढ़े आठ बजे की है।
आग लगने के बाद मोती तबेला स्थित फायर ब्रिगेड को फोन लगाते रहे, मगर किसी ने फोन नहीं उठाया। आखिरकार फायर बिग्रेड एसपी से लेकर कलेक्टर और निगम आयुक्त को फोन लगाया, तब जाकर हलचल हुई। मगर जब तक फायर ब्रिगेड पहुंची, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। आग लगने के लगभग डेढ़ घण्टे बाद 6 फायर ब्रिगेड की गाडिय़ां पहुंचीं। आग बुझाने में लगभग 25 टैंकर पानी लगा। हालांकि कलेक्टर ने एसडीएम और निगम आयुक्त ने चीफ इंजीनियर को मौके पर भेजकर उनके माध्यम से आग बुझने तक हर 15 मिनट में तात्कालिक मौजूदा हालातों की जानकारी वे लेते रहे।
कल मेट्रो ट्रेन के ट्रायल रन की वजह से मुख्यमंत्री शहर में थे, इसलिए ज्यादातर अधिकारियों की ड्यूटी वहीं पर लगी थी। अध्यक्ष मेहता ने अग्निबाण से चर्चा करते हुए बताया कि पालदा इलाके में लगभग 500 छोटे-मध्यम व बड़े उद्योग हैं। इसके अलावा इधर से गुजरने वाले बायपास पर कई नई कालोनियां बस चुकी हैं। उद्योगपतियों का संगठन एआईएमपी पिछले 10 सालों से पालदा को औद्योगिक क्षेत्र घोषित कर वहां पर फायर ब्रिगेड स्टेशन बनाने की मांग करता आ रहा है, मगर जिम्मेदार लोग इस मांग को नजरअंदाज करते आ रहे हैं।
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