इन्दौर। इंदौर नगर निगम में 3 नंबर विधानसभा ही ऐसी रही, जहां सभी 10 वार्डों के ही प्रत्याशियों को बदल दिया गया। इसमें विधायक आकाश विजयवर्गीय ने रिस्क ली, लेकिन 10 में से 8 सीटों पर भाजपा का कब्जा बनाने में वे कामयाब रह गए। एक ऐसा मौका भी आया, जब भाजपा के ही बड़े नेताओं ने फीडबैक दिया कि नए चेहरों पर दांव लगाने से यहां पार्टी को एक बड़ा नुकसान होने जा रहा है, लेकिन हुआ उलटा ही। वहीं कांग्रेस ने कुछ पुराने नेताओं को लड़ाया, लेकिन दो सीट छोडक़र बाकी किसी पर भी वे कब्जा नहीं जमा पाए।
जब प्रत्याशी चयन को लेकर प्रक्रिया चल रही थी, तभी तीन नंबर से ऐसे चांैकाने वाले नाम आए, जिसको लेकर भाजपाई सोच भी नहीं सकते थे। विजयवर्गीय ने वार्ड क्रमांक 55 से लेकर 64 तक पूरे वार्ड के बदल डाले और दावा भी कर डाला कि सभी चुनाव जीतकर आएंगे। 55 नंबर में कई कद्दावर नाम थे, लेकिन यहां से बबली तलरेजा की बहू पंखुड़ी डोसी को मौका मिला तो स्वाति काशिद का टिकट कटने के कारण 56 से गजानंद गावड़े को चुनाव मैदान में उतार दिया गया, जबकि वे मंडल अध्यक्ष होने के नाते संगठन का काम कर रहे थे।
59 में अरुण पेंढारकर जैसे पुराने भाजपाई की पुत्री रूपाली, 61 में भावना चौधरी, 62 में रूपा पांडे, 63 में मृदुल अग्रवाल और 64 में मनीष मामा जैसे नाम थे। इनमें कई ऐसे नाम थे, जिनके बारे में पार्टी के ही नेताओं ने कह दिया था कि इन सीटों पर नुकसान हो सकता है, फिर भी आठों सीट भाजपा के कब्जे में आ ही गईं। हालांकि वार्ड 58 से सन्नी चौहान और 60 से रंजना पिपले मुस्लिम वार्ड से चुनाव हार गए। दूसरी ओर कांग्रेस ने प्रत्याशी चयन में गड़बड़ कर दी और उसके 8 प्रत्याशी हार गए। इनमें धनराज घाटे, दीपिका अनुरोध जैन, आशा वीरू झांझोट, एकता मनीष, शैलेष गर्ग, दिनेश कुशवाह जैसे नाम शामिल थे। आठों वार्डों में सबसे बड़ी हार कांग्रेस कोषाध्यक्ष शैलेष गर्ग की 2 हजार 465 से हुई तो सबसे कम वोट से धनराज घाटे हारे।
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