इंदौर। मैं अगर गायिका नहीं बनती तो डॉक्टर बनती। मुझे ब्रेक देने वाले संगीतकार लक्ष्मी प्यारे हंै और प्रेरणास्त्रोत लताजी। मेरे पति एल. सुब्रह्मण्यम भी मेरे गुरु रहे हैं। इस सम्मान के लिए मैं मालवा रंगमंच समिति मप्र का धन्यवाद अदा करती हूं।
यह बात सुप्रसिद्ध पाश्र्वगायिका पद्मश्री कविता कृष्णमूर्ति ने कही। कल मालवा रंगमंच समिति मप्र ने कविता को ‘मालवा संगीत सम्मान’ से सम्मानित किया। सम्मान ग्रहण करने के बाद उन्होंने अपनी संगीत यात्रा के बारे में बताया और कहा कि इंदौर पुण्यभूमि है। मैं बचपन से लताजी के गीत सुनती रही हूं। तब सोचा नहीं था कि गायिका बनूंगी। लताजी ही मेरी प्रेरणास्त्रोत रही हैं। उन्होंने संगीत के पुराने और आज के दौर पर बात करते हुए ये भी कहा कि अच्छे कलाकार को पहचाने और उनका सम्मान करें।
कल इंदौर में मालवा रंगमंच समिति मप्र ने रवींद्र नाट्य गृह में कविता कृष्णमूर्ति और उनके पति वायलिन वादक एल. सुब्रह्मण्यम का सम्मान किया। खचाखच भरे हॉल में कविता की एंट्री पर सभी ने खड़े होकर ताली बजाकर उनका सम्मान किया। सम्मान से पहले मुंबई से आए गायकों ने कविता कृष्णमूर्ति के नगमे सुनाए, जिसमें हम दिल दे चुके सनम…, कोई मिल गया…, रिमझिम रिमझिम…, नायक नहीं खलनायक हूं…, जैसे गीत शामिल रहे। वहीं, सम्मान के बाद कविता ने वहां बैठे श्रोताओं की फरमाइश पर दिल ने कहा चुपके से…, बिजली गिराने मैं हूं आई… जैसे कुछ गीत सुनाए। राजेश मिश्रा गुड्डू ने बताया कि संस्था अध्यक्ष केशव राय ने शामिल सभी कलाकारों का सम्मान किया।
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