सरज़मीन-ए-मालवा के अहम शहर और मल्हार राव होलकर की नगरी इंदौर में हो रहे पिरवासी भारतीय सम्मेलन का आज आखरी दिन हेगा। कल मोदी साब ने पिरवासियों को खिताब करा था। आज पिरसिडेंट मोहतरमा द्रौपदी मुर्मू साहेबा उनसे रूबरु होंगी। आज ये शानदार पिरोगराम तकमील पे पोंचेगा। बिलाशक सबसे साफ-शफ्फ़़ाफ़ शहर इंदौर के बाशिंदों ने पिरवासी भारतीयों की खातिर तवाजों में कोई कसर नईं रखी, और हर लिहाज से तमाम इंतजामात मुकम्मल रहे। वैसे भी सूबे के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान साब इस तरे के पिरोगराम में कोई कसर बाकी नईं रखते। अब कल से गिलोबिल इन्वेस्टर समिट का इंदौर मेई आगाज़ होने जा रिया है। इन दौनो पिरोग्रामों को लेके सूरमा के दिल मे ये खय़ाल आ रिया हेगा भायान के कमसे कम पिरवासी भारतीय सम्मेलन अगर झीलों और पहाड़ों के शहर अपने भोपाल में मुनक़्क़ीद होता तो अपन भोपाली बी मेहमाननवाज़ी में इंदौरियों से कम नईं गिरते…क्या। भलेई खानपान में इंदौर भोपाल से इक्कीस होए बाकी भोपाल के कई आइटम भोत लज़ीज़ बनाये जाते हैं। अगर इन्दोर में राजबाड़ा है तो अपने कने भलेई खस्ताहाल हो ताजमहल तो हेगा। माना के इंदौर में पोहे जलेबी ओर उसल पोहे का कोई तोड़ नई हेगा। तो भोपाली बी खां पिरवासी भारतीयों को कीमा-पराठा, हलुआ-पराठा जैसे भयंकर लज़ीज़ नाश्ते पेश कर सकते थे।
ये माना के इंदौरी कचौरी-समोसे का जवाब नई हेगा…तो भाई मियां अपने बुधवारा चार बत्ती और इब्राहिमपुरा की एंट्री पे बने ठिये पे मीठे समोसे, खास्ता खजूर, दाल और कीमे के समोसे की लज़्ज़त इन्दोर से कुच कम हेगी क्या। वैसे भोपाल के चौक की कचोरी, पीर गेट की सीहोरी कचोरी बी इंदौर को टक्कर तो देई देगी। सूरमा का दावा है भाईजान के भोपाल में वेज होए के नॉनवेज दोनो ही खाने इंदौर से कम नहीं मिल लये। चौक की 100 साल से ज़्यादा पुरानी आलू की सब्ज़ी और पूरी का कोई जवाब नई हेगा। घोड़ा नक्कास के साठ सत्तर बरस पुराने वैष्णव भोजनालयों के खानों का लुत्फ पिरवासी लेते तो उंगलियां चाटते रे जाते। इसके बरक्स बुधवारा, इतवारा, इमामी गेट की मटन बिरयानी, मटन रोगनजोश, शामी और सींख कबाब का तो कोई तोड़ ही नईं हेगा। अगर ये आइटम पिरवासी चख लेते तो खां हर बरस भोपाल ज़रूर आते। और हाँ खाने के बाद नमक वाली सुलेमानी चाय होए या फऱीद मियां की चाय का बी खां जवाब नईं होता। ये तो हुई खाने की बात बाकी इंदौर भलेई सबसे साफ शहर हो, लेकिन भोपाल जेजी कुदरती खूबसूरती कां से लाता। बोट कलब से लेके वन विहार तलक, केरवा से लेके कलियासोत तलक वाली सकड़ को देखके तो हर पिरवासी भारतीय गिर-गिर पड़ता। क्या इंदौर वालों के कने भोपाल जैसी पेड़ों से छाई हुई लिंक रोड हेगी..! क्या शिमला हिल से बड़े तालाब जैसा नज़ारा इन्दोर में मिलेगा…! और भोपाली अदब, भोपालियों की हाजिऱ जवाबी का बी कोई तोड़ नहीं है। तो साब सूरमा सरकारी इंतेजामिया से इल्तजा करता है के अगली दफे पिरवासी भारतीय सम्मेलन की मेजबानी का मौका भोपाल को दिया जाए। ताकि दुनिया मे भोपाली तहज़ीब,अदब,खानपान और पतली गलियों के दीदार के चर्चे हो सकें।
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