इंदौर। इंदौर को भिक्षावृत्ति से मुक्त करने के लिए कलेक्टर आशीष सिंह सख्त कदम उठाने जा रहे हैं। कई बार समझाइश दिए जाने के बाद भी नहीं मानने पर अब सख्ती का डंडा चलाया जाएगा। इन आदतन भिक्षुकों को उज्जैन और इंदौर की संस्थाओं में प्रवेश दिलाकर रखा जाएगा, वहीं ऐसे भिक्षुक, जिनके दस्तावेज या पहचान पत्र ही नहीं हैं, उनके आधार कार्ड बनाने के साथ रोजगार भी दिलाया जाएगा।
इंदौर शहर में चल रहे भिक्षुक मुक्त भारत के पायलट प्रोजेक्ट के साथ-साथ शहर को भिक्षुकों से मुक्त कराने के लिए भीख देने वालों पर भी धारा 144 लगाई गई है। इसके बावजूद भी शहर की सडक़ों से भिक्षुको की संख्या कम नहीं हो रही है। अब प्रशासन सख्ती से भिक्षा देने वालों पर भी नजर रखेगा। समझाइश के बाद भी नहीं माने तो कार्रवाई का डंडा चलेगा। कलेक्टर कार्यालय में महिला एवं बाल विकास विभाग, सामाजिक न्याय विभाग सहित भिक्षावृत्ति रोकने के लिए काम कर रही संस्थाओं और एनजीओ की बैठक आयोजित की। समीक्षा बैठक में ज्ञात हुआ कि भिक्षुकों को रखने और काउंसलिंग के बावजूद भी संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है।
दस्तावेज हीं नहीं
समीक्षा बैठक के दौरान ज्ञात हुआ कि भिक्षावृत्ति कर जीवनयापन कर रहे लोगों के पास मूलभूत दस्तावेज ही नहीं है। आधार कार्ड, वोटर आईडी के साथ-साथ अन्य दस्तावेज भी अब कैंप लगाकर बनाए जाएंगे, ताकि इन्हें रोजगार या छोटा- मोटा लोन दिलाकर व्यवसाय से जोड़ा जा सके। ज्ञात हो कि प्रशासन भिक्षुकों की काउंसलिंग करने के साथ-साथ प्रयासरत है। पकड़ी गई महिलाओं को स्व सहायता समूह बनाकर जहां रोजगार दिलाया जा रहा है, वहीं पुरुषों को नौकरी के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
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