नई दिल्ली (New Delhi) । अमेरिका (America) की बड़ी टेक कंपनियां (Tech Companies) इस वक्त बड़ी संख्या में छंटनी कर रहीं हैं. इनमें गूगल, मेटा, एपल, डेल, ट्विटर, अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां भी शामिल हैं. इस छंटनी में बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं, जो H-1B वीजा (H-1B Visa) पर अमेरिका में रह रहे थे. ऐसे में छंटनी के बाद इन लोगों के अमेरिका में रहने पर भी खतरा पैदा हो गया था. लेकिन इस बीच अमेरिकी सरकार ने बड़ा ऐलान किया है.
अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (USCIS) ने ऐलान किया है कि जिन H-1B वीजा होल्डर्स को कंपनियों ने नौकरी से निकाला है, वो अब अमेरिका में 60 से भी ज्यादा दिन तक रह सकते हैं. जबकि, अब तक आम धारणा ये थी कि नौकरी से निकाले या इस्तीफा देने के बाद H-1B वीजा होल्डर को 60 दिन के भीतर अमेरिका छोड़ना पड़ता था.
दरअसल, टेक कंपनियां लगातार छंटनियां कर रहीं हैं. अनुमान है कि इस साल 247 टेक कंपनियां 58,499 लोगों को नौकरी से निकाल चुकी हैं.
USCIS ने एक प्रेस रिलीज जारी कर बताया है कि जब किसी H-1B वीजा होल्डर को नौकरी से निकाल दिया जाता है या वो खुद छोड़ देता है, तो उसे अपने विकल्पों के बारे में पता नहीं होता. अगर कोई व्यक्ति नौकरी खोने के बाद 60 दिन के भीतर अपने नॉन-इमिग्रेंट स्टेटस में बदलाव के लिए अप्लाई कर देता है तो वो 60 दिन के बाद भी अमेरिका में रह सकता है. लेकिन अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो उसे और उसके परिजनों को 60 दिन के भीतर अमेरिका छोड़ना पड़ सकता है.
इसके अलावा, अगर कोई व्यक्ति किसी नई कंपनी में जॉब पर लगता है, तो उस कंपनी को जल्द से जल्द H-1B वीजा को बढ़ाने की पिटीशन दायर करनी होगी.
USCIS ने ये भी बताया कि नौकरी जाने या इस्तीफा देने के बाद अगर कोई वर्कर वापस अपने देश लौटना चाहता है, तो उसकी कंपनी को इसका खर्चा देना होगा. इतना ही नहीं, अपने देश लौटने के बाद वर्कर्स अमेरिका में नौकरी तलाश कर सकते हैं और वीजा की बाकी बची अवधि तक फिर से अमेरिका आ सकते हैं.
H-1B वीजा गैर-अप्रवासी वीजा है. ये अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कामगारों को नियुक्त करने की मंजूरी देता है. जब भी कोई व्यक्ति अमेरिकी कंपनी में नौकरी करता है तो उसे H-1B वीजा जारी किया जाता है. शुरुआत में ये 3 साल के लिए वैलिड होता है, जिसे बढ़ाकर 6 साल तक किया जा सकता है. H-1B वीजा के सबसे बड़े लाभार्थी भारतीय हैं. आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका हर साल जितने लोगों को H-1B वीजा जारी करता है, उसमें से 70 फीसदी से ज्यादा भारतीयों को मिलता है.
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