वाराणसी (Varanasi)। ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi Campus) के एएसआई से सर्वे (ASI survey) को मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद (Muslim side Anjuman Intezamia Masjid) ने मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में चुनौती दी। अंजुमन के वकील एसएफए नकवी ने ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर कई सवाल उठाए। कहा, निचली कोर्ट के वाद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) (Archaeological Survey of India (ASI)) न तो पक्षकार है, न ही परिसर सर्वेक्षण का अदालती आदेश कानूनी रूप से तामील हुआ है। अफरातफरी में एएसआई ने सर्वेक्षण शुरू कर दिया, जो ज्ञानवापी परिसर को नुकसान पहुंचाने की पूर्वनियोजित प्रक्रिया है।
वाराणसी जिला जज के सर्वेक्षण के 21 जुलाई के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की रोक के अगले दिन मंगलवार को मुस्लिम पक्ष ने इसे इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर की अदालत में शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई, जिस पर शाम साढ़े चार बजे से सुनवाई शुरू हुई। एक घंटे चली सुनवाई में चीफ जस्टिस ने दोनों पक्षकारों से विवादित मामले के इतिहास की जानकारी ली। विधिवत सुनवाई बुधवार सुबह साढ़े नौ बजे से होगी। हिंदू पक्ष ने एकतरफा आदेश से बचने के लिए पहले ही कैविएट दाखिल कर दिया था।
आदेश असामयिक
नकवी ने बताया, हिंदू पक्ष जिसे शिवलिंग बता रहा है, वह फव्वारा है। ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण का जिला जज का आदेश असामयिक है, क्योंकि अभी तक लंबित केस में कोर्ट ने वाद बिंदु तय नहीं किए हैं। नकवी ने आरोप लगाया, अदालत के आदेश का अनुचित लाभ उठाने की कोशिश हो रही है। मुस्लिम पक्ष को आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल करने तक का अवसर नहीं दिया गया।
विशेषज्ञ की राय कभी भी ले सकते हैं
हिंदू पक्ष के वकील विष्णुशंकर जैन ने कहा, एएसआई को अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मामले में भी पक्षकार नहीं बनाया था। वाद के किसी भी स्तर पर विशेषज्ञ की राय ली जा सकती है।
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