भोपाल। प्रदेश में ग्वालियर की हवा सबसे जहरीली है। यहां हवा क्वालिटी इंडेक्स 331 से ऊपर पहुंच गया है। जबलपुर में 293 से बढ़कर 298 तो कटनी में 250 से बढ़कर 299 रिकॉर्ड हुआ। जबकि भोपाल और इंदौर में एयर क्वालिटी इंडेक्स सामान्य से अधिक तो है, लेकिन खराब नहीं है। प्रदेश में सबसे अच्छी आबोहवा सागर की है। यहां का हवा की गुणवत्ता 50 है, जो गुड कैटेगरी में आता है। भोपाल में सड़कें खराब हैं, धूल की वजह से हवा की क्वालिटी खराब हुई है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने अपनी वेबसाइट पर देश के 136 शहरों के एयर क्वालिटी की रिपोर्ट जारी की है। इसमें प्रदेश में सबसे खराब स्थिति ग्वालियर की है। पर्यावरण के जानकार प्रोफेसर हरेन्द्र सिंह इस हालात के लिए मौसम, ट्रैफिक और शहर में खुदी पड़ी सड़कें और पराली जलाने को जिम्मेदार मानते हैं। दिवाली के दूसरे दिन ग्वालियर के सिटी सेंटर में एयर क्वालिटी 322 के स्तर पर था, जबकि फूलबाग पॉइंट पर 387 के स्तर पर पहुंच गया था।
दीवाली से जहरीली बनी है हवा
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक इस दिवाली पर पटाखे ज्यादा चले थे। 15 दिन पहले 26 अक्टूबर को ग्वालियर में हवा की क्वालिटी 162 है। 26 अक्टूबर के बाद धीरे-धीरे जैसे-जैसे दिवाली का माहौल बनता गया, एयर क्वालिटी इंडेक्स बढ़ता चला गया है। 200 के ऊपर जाने पर इसे खतरनाक माना जाता है। हैरत की बात यह है कि दिवाली गुजरने के 8 दिन बाद भी हवा की क्वालिटी 304 के स्तर पर है।
किसके लिए है खतरनाक
एयर क्वालिटी औसत लगातार बढऩे से अस्थमा, सांस के मरीज व दिल के मरीजों के लिए खतरनाक है। डॉ. अमित कुमार का कहना है कि इस समय जब एयर क्वालिटी खराब है और सांस लेने में जरा भी तकलीफ होती है तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। साथ ही बाहर निकलने से बचें। बाहर से आते हैं, तो तत्काल चेहरा साफ करें। ट्रैफिक के बीच में जाने से भी बचें, क्योंकि वहां यह स्तर और भी बिगड़ जाता है।
हवा खराब होने के कारण
माना जा रहा था कि दिवाली के समय चले पटाखों से हवा का स्तर खराब हुआ। इस समय मौसम और ट्रैफिक भी इसका कारण है। हल्के बादल हैं। त्योहार और सहालग की वजह से सड़कों पर आम दिनों की तुलना में ट्रैफिक भी ज्यादा रहा है। इसके अलावा, शहर की 50 फीसदी सड़कें खुदी पड़ी हैं। इस कारण यह धूल के कण हवा में मिलते हैं।
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