भोपाल। प्रदेश के चार महानगरों में सबसे अधिक प्रदूषित ग्वालियर है। ग्वालियर में एयर क्वालिटी इंडेक्स 311 दर्ज किया गया। वहीं भोपाल दूसरे नंबर पर है। भोपाल में एयर क्वालिटी इंडेक्स 217 दर्ज किया गया। जबकि इंदौर और जबलपुर इससे काफी कम है। जबकि भोपाल की वायु गुणवत्ता को सुधारने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसके बाद भी वायु की गुणवत्ता में सुधार नहीं हो पा रहा है। शासन, प्रशासन इस पर नियंत्रण नहीं कर पा रहा है, जो लोगों के लिए परेशानी बढ़ा रहा है। जबकि इन दोनों ही मामलों को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लगातार रिपोर्ट दे रहा है।
प्रदूषण बढऩे का कारण
ठंड के मौसम में सड़क से उठने वाली धूल व कचरा जलने से उठने वाला धुआं परेशानी का कारण बन रहा है। पर्यावरण विद डॉ. हरेन्द्र शर्मा का कहना है कि ठंड के कारण हवा में नमी होती है। हवा की एक परत जमीन से ऊपर आसमान में जमा हो जाती है जो जमीन से उठने वाली धूल व धुआं को आसमान में निकलने से रोकती है। इस कारण से जमीन से ऊपर प्रदूषण अधिक होता है। जब आसमान खुल जाता है और धूप निकलने लगती है तो यह परत हट जाती है जिससे नीचे से उठने वाले धूल व धुआं के कण आसमान में निकल जाते हैं।
प्रदूषण से बढ़ रही मरीजों की परेशानी
टीबी एंड चेस्ट के डा उज्ज्वल शर्मा का कहना है कि वातावरण में प्रदूषण बढऩे से अस्थमा रोगियों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। सांस नली के माध्यम से धूल व धुआं के कण फेफड़े तक पहुंच जाते हैं जो फेफड़े संबंधी परेशानी खड़ी करते हैं। जो अस्थमा रोगी होते हैं उन्हें ऐसे में सांस लेने में परेशानी होती है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved