नई दिल्ली। आज देशभर में गुरु गोबिंद सिंह जयंती (Guru Gobind Singh Jayanti 2025) मनाई जा रही है. गुरु गोबिंद सिंह जयंती (Guru Gobind Singh Jayanti) सिख समुदाय (Sikh community) का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह को समर्पित है. यह दिन उनकी शिक्षा, बलिदान और समर्पण की याद दिलाता है. आइए गुरु गोबिंद सिंह जयंती के मौके पर आपको उनके जीवन परिचय और शिक्षाओं के बारे में विस्तार से बताते हैं।
कौन थे गुरु गोबिंद सिंह?
गुरु गोबिंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर 1666 को बिहार के पाटना साहिब में हुआ था. उन्होंने 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी. सिख समुदाय को पांच “ककार” (केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा) अपनाने का निर्देश भी उन्होंने ही दिया था।
समर्पण और बलिदान
गुरु गोबिंद सिंह ने धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपने चार साहिबजादों (पुत्रों) और अपने परिवार का बलिदान दिया था. इनके नाम थे- अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह।
कैसे मनाया जाता है ये पर्व?
प्रभात फेरी- सुबह के समय भक्त समूहों में ‘वाहेगुरु’ के जाप और शबद-कीर्तन करते हुए नगर कीर्तन निकालते हैं।
अखंड पाठ: गुरुद्वारों में गुरु ग्रंथ साहिब का लगातार पाठ किया जाता है।
लंगर: गुरुद्वारों में निःशुल्क सामूहिक भोजन का आयोजन होता है।
शबद कीर्तन: गुरुद्वारों में गुरु गोबिंद सिंह जी के उपदेशों और भक्ति पर आधारित शबद गाए जाते हैं।
गुरु गोबिंद सिंह की शिक्षाएं
1. अन्याय और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाना.
2. सभी मनुष्यों को समान समझना और जातिवाद का विरोध करना
3. अपना जीवन दूसरों की सेवा और मानवता के लिए समर्पित करना
4. “संत-सिपाही” का आदर्श प्रस्तुत करना जिसमें आध्यात्मिकता और शारीरिक शक्ति दोनों का संतुलन हो.
5. मानवता, बलिदान और साहस के माध्यम से सच्चाई और धर्म का मार्ग अपनाना और लोगों को सही दिशा दिखाना।
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