गुरुग्राम/नई दिल्ली। बड़े शहरों में जमीन की कमी और कीमतें बढ़ने की वजह से लोग आसमान छूती इमारतों (sky-high buildings) में रहने लगे हैं। गुरुग्राम हादसे (Gurgaon Building Collapse) के बाद पूरे एनसीआर की सोसाइटियों में इस बात की चर्चा है कि ऐसा क्या हुआ कि एक के बाद एक 7 फ्लोर ढहते चले गए। क्या बिल्डर ने घटिया सामान लगाया था? कौन है इसके लिए जिम्मेदार? हादसा कितना भयानक था, यह तस्वीरें देखकर समझा जा सकता है। बृहस्पतिवार की शाम सेक्टर 109 की चिंटल पैराडिसो सोसाइटी (Chintels Paradiso) में यह हादसा हुआ। आइए सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं कि कल शाम हुआ क्या था।
अचानक जोर का धमाका हुआ
गुरुवार शाम साढ़े छह बजे का वक्त था। सोसाइटी के डी टावर के आठवें फ्लोर पर काम चल रहा था। बताते हैं कि उसके चलते अचानक सातवीं से पहली मंजिल तक की छत और फर्श नीचे आ गिरे। मतलब, सात फ्लोर की छतें टूटकर पहली मंजिल के फ्लैट पर आ गईं। यह उन लोगों के लिए पहाड़ टूटकर गिरने जैसा रहा होगा, जो मलबे में दब गए। छठवें फ्लोर पर सबसे पहले छत टूटी वहां कोई नहीं रह रहा था। हालात ऐसे बन गए कि बचाव कार्य के लिए गाजियाबाद से एनडीआरएफ की आठवीं बटालियन को भेजा गया। तस्वीर में भी देखा जा सकता है कि कैसे पहली मंजिल पर फ्लैट नंबर डी-103 के ड्राइंग रूम में मलबा भरा है। इस हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई है। 3-4 लोग मलबे के नीचे दबे हो सकते हैं।
जोरदार आवाज सुनते ही सामने ई-टावर के लोग दौड़कर बाहर निकले तो देखा कि फ्लैट नंबर डी-103 का ड्राइंग रूम मलबे से भरा है। पुलिस और दमकल विभाग को सूचना दी गई। 2 लोगों को मलबे से निकालकर अस्पताल पहुंचा गया। डी-टावर में रहने वाले लोगों से वहां से जल्दी निकलने को कहा गया। सभी को क्लब हाउस में ठहराया गया है। पूरी इमारत खाली करा ली गई है। सुबह भी राहत कार्य जारी है।
उस टावर की पहली और पांचवीं मंजिल पर फ्लैट्स में परिवार शिफ्ट हो गए थे। गनीमत यह थी कि दूसरी, तीसरी और चौथी मंजिल के फ्लैट्स में कोई नहीं रह रहा था। पांचवीं मंजिल में रहने वाला परिवार घटना के समय घर पर नहीं था। पहले फ्लोर पर पीएमओ में कार्यरत अधिकारी रहते हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि यह परिवार गुरुवार को ही कहीं बाहर से आया था। हादसे के वक्त पति और पत्नी ड्राइंग रूम में बैठे थे जबकि महिला की बहन वॉशरूम गई हुई थी।
छत टूटी लेकिन बिल्डिंग क्यों नहीं ढही?
यह भी एक सवाल है जो शायद कुछ लोगों के मन में पैदा हो रहा होगा। दरअसल, ऊंची इमारतें पिलर पर खड़ी होती हैं और यहीं से उनकी मजबूती तय होती है। ऐसे में जब छत टूटी तो पिलर के सहारे खड़ी बिल्डिंग को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।
एनडीआरएफ के लिए भी बचाव कार्य आसान नहीं है। एक शख्स मलबे में इस तरह फंसा था कि उसका इलाज उसी स्थिति में शुरू करना पड़ा। सोसाइटी के लोग बिल्डिंग की क्वॉलिटी पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि कॉलोनी के 4 रिहायशी टावर का स्ट्रक्चर ऑडिट हुआ था लेकिन उसमें यह टावर शामिल नहीं था। हादसे के बाद इसी सोसाइटी में हीं नहीं, जिसे भी खबर मिली वह टेंशन में आ गया।
पिछले साल भी 21 जुलाई को यहां एच टावर में एक फ्लैट का छज्जा गिर गया था। शिकायत भी हुई लेकिन डिवेलपर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) के दस्ते बचाव कार्य में जुटे हैं। एक एलिवेटेड प्लेटफॉर्म के साथ अर्थ-मूविंग (मलबा हटाने में काम आने वाली मशीन) मशीन और एक दमकल वाहन तैनात किया गया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मृतक की शिनाख्त एकता भारद्वाज के रूप में की गई है। एक व्यक्ति को मलबे से बाहर निकाला गया और उसे अस्पताल ले जाया गया। उसकी पहचान अरुण कुमार श्रीवास्तव के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि चार साल पहले यह टावर बनकर तैयार हुआ था। परिसर में तीन अन्य टावर हैं। 18 मंजिला टावर डी में चार बेडरूम के अपार्टमेंट हैं। आवास परिसर प्रबंधन ने शाम सात बजे के आसपास हुई इस बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए मरम्मत के दौरान लापरवाही को जिम्मेदार बताया।
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