नई दिल्ली (New Delhi)। अश्विन और चैत्र महीने (Ashwin and Chaitra month) में प्रमुख नवरात्रि (major navratri) आते हैं। माघ और आषाढ़ मास (Magha and Ashadha month) में मनाई जाने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि (Gupta Navratri) कहते हैं। गुप्त नवरात्रि के नाम से ही स्पष्ट है कि इसमें मां दुर्गा की गुप्त तरीके से पूजा की जाती है। आषाढ़ मास में पड़ने वाला त्योहार गुप्त नवरात्रि मां दुर्गा के उपासकों (worshipers of Maa Durga) के लिए खास होता है। खासकर तांत्रिक और अघोरियों (Tantriks and Aghoris) के लिए गुप्त नवरात्रि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसमें नौ दिन तप, साधना करने वालों को 10 महाविद्याएं (10 Mahavidyas) दुर्लभ सिद्धियां (Rare Achievements) प्रदान करती हैं।
ज्योतिर्विद हिमांशु शास्त्री ने बताया कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होती है। इसका समापन नवमी तिथि के दिन होता है। इस साल आषाढ़ गुप्त नवरात्रि सोमवार से शुरू होगी और 28 जून को इसकी समाप्ति होगी। शास्त्री ने बताया कि नौ दिन तक 10 महाविद्याओं मां काली, तारा देवी, षोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, और कमला देवी की पूजा की जाती है। आषाढ़ माह के प्रतिपदा तिथि 18 जून को सुबह 10 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगी। अगले दिन 19 जून को सुबह 11 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी। गुप्त नवरात्रि में गुप्त तरीके से पूजा का विधान है, जिसमें तांत्रिक घटस्थापना करते हैं। गृहस्थ जीवन वाले सामान्य पूजा करते हैं।
सुबह 05 बजकर 23 मिनट से घटस्थापना मुहूर्त
गुप्त नवरात्रि की घटस्थापना मुहूर्त सुबह 05 बजकर 23 मिनट से सुबह 07 बजकर 27 मिनट तक रहेगी। घटस्थापना अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगी। मिथुन लग्न प्रारम्भ सोमवार को 05:23 से 07:27 तक गुप्त सिद्धियों को पाने के लिए इस नवरात्रि को सबसे ज्यादा शुभ माना गया है। इसी गुप्त नवरात्रि की पूजा के बल पर विश्वामित्र को असीम शक्ति प्राप्त हुईं थी। इसी महापर्व पर साधना करके रावण का पुत्र मेघनाथ ने इंद्र को हराया था। हिंदू मान्यता के अनुसार यदि कोई साधक गुप्त नवरात्रि में एक निश्चित समय पर गुप्त रूप से देवी दुर्गा के पावन स्वरूप की साधना करता है तो उसे उनसे सुख-सौभाग्य और आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है।
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