गुना। गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट (Guna-Shivpuri Lok Sabha seat) पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Union Minister Jyotiraditya Scindia) को 2019 में मिली हार के दाग को मिटाने की चुनौती है। उनके सामने कांग्रेस ने यादवेंद्र सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। 2019 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े सिंधिया को भाजपा के केपी यादव (KP Yadav of BJP) ने हराया था। इस बार भाजपा ने यादव के स्थान पर सिंधिया को मौका दिया है, जो 2020 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे और इस समय मध्य प्रदेश से राज्यसभा में सांसद (Rajya Sabha MP from Madhya Pradesh) हैं। बसपा ने धनीराम चौधरी को टिकट देकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश जरूर की है लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा-कांग्रेस में ही है। कुल 15 उम्मीदवार यहां से भाग्य आजमा रहे हैं।
गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट सिंधिया राजपरिवार के लिए प्रतिष्ठा से जुड़ी रही है। इस सीट के अंतर्गत अशोकनगर जिले के साथ ही शिवपुरी और गुना के कुछ हिस्से आते हैं। आठ विधानसभा सीटों में से छह पर भाजपा और दो पर कांग्रेस का कब्जा है। तीसरे चरण में सात मई को यहां वोटिंग हुई थी। इस बार यहां 72.43 प्रतिशत वोटिंग हुई है। 2019 की बात करें तो इस सीट पर 70.32 प्रतिशत और 2014 में 60.77 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। पिछले चुनावों के मुकाबले बम्पर वोटिंग को सिंधिया के पक्ष में माना जा रहा है लेकिन नतीजा तो चार जून को ही सामने आएगा।
गुना-शिवपुरी सीट को सिंधिया राजघराने की परंपरागत सीट मानी जाती रही है। 1957 में सिंधिया परिवार ने पहली बार इस सीट पर चुनाव जीता था। 2002 से 2019 तक ज्योतिरादित्य यहां से चुनाव जीते। हालांकि, 2019 में उन्हें किसी समय करीबी रहे केपी यादव के हाथों पराजय मिली। कांग्रेस ने राव यादवेंद्र सिंह को टिकट दिया है, जो अशोक नगर से जिला पंचायत सदस्य हैं। उनकी पत्नी जनपद सदस्य, भाई जिला पंचायत सदस्य और मां भी जनपद सदस्य हैं। राव यादवेंद्र सिंह के पिता देशराज सिंह भाजपा विधायक रहे हैं। यादवेंद्र को छोड़कर उनके परिवार के ज्यादातर लोग भाजपा में लौट चुके हैं।
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