गुना। जिले के 31 मजदूरों को महाराष्ट्र के पुणे में बंधक बना लिया गया था। वहां उन्हें न मजदूरी दी गई और न ही खाना दिया गया। मजदूरों के किसी तरह गुना में अपने रिश्तेदारों को खबर की। उन्होंने यहां पुलिस को अवगत कराया, जिसके बाद गुना पुलिस पुणे पहुंची और 31 मजदूरों का वाहन से रेस्क्यू किया। रविवार को पुलिस सभी मजदूरों को लेकर गुना पहुंची, जहां से उन्हें अपने गांव भेज दिया गया।
बताया गया है कि गत 25 नवंबर को जिले के धरनावदा इलाके के कई गांव से सेहरिया, आदिम जनजाति एवं मीना समाज के लगभग 31 लोगों को ठेकेदार हुकुम सिंह पुत्र समस्य सिंह राजपूत निवासी नानीपुरा, म्याना का मजदूरी दिलाने का झांसा देकर ईवापुर जिला पुणे महाराष्ट्र ले गया था। इस दौरान मजदूरों को वहां रोजगार में लगाकर उनसे अमानवीय परिस्थितियों में काम करवाया जा रहा था, जिसके चलते मजदूरों के द्वारा विरोध किए जाने पर उनको बंधक बना लिया गया था एवं उनसे जबरन मजदूरी करवाई जा रही थी। मजदूरों को मूलभूत जरूरतों तक की पूर्ति न किए जाने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।
विकट समय में गुजारा करते हुए ईदापुर जिला पुणे महाराष्ट्र में रहे मजदूरों द्वारा किसी तरह अपने परिजनों एवं रिश्तेदारों को सूचित किया गया। उनके पास में भी पर्याप्त व्यवस्था आदि न होने के चलते परिजनों के द्वारा पुलिस को आवेदन देकर अत्यंत दयनीय परिस्थितियों में रह रहे बंधक बनाये गये परिजनों/ रिश्तेदारों को वापस गुना (घर वापसी) की गुहार लगाई थी। एसपी ने मामले में कलेक्टर फ्रैंक नोबल से बात की। धरनावदा थाना प्रभारी अरुण सिंह भदौरिया के नेतृत्व में पुलिस टीम का गठन कर एक बस उन्हें उपलब्ध कराई गई। पुलिस टीम 2 दिसंबर को महाराष्ट्र के लिए रवाना हुई। वहां टीम इंदापुर जिला पुणे पहुंची और बंधक बनाए गए मजदूरों का पता लगाया। वहां से उनका रेस्क्यू किया गया। मजदूरों को वहां से लेकर पुलिस टीम रविवार को गुना पहुंची।
31 मजदूरों का वाहन से रेस्क्यू किया गया। यहां लाने के बाद जिला अस्पताल में उनका स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया। फिर सभी को धरनावदा भेज गया। (एजेंसी, हि.स.)
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