स्वस्थ दांत चाहते हैं तो मसूड़ों (gums) का भी स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। स्वस्थ और मजबूत मसूड़ों से ही दांतों की मजबूत रहते हैं। मसूड़े का रंग कोरल पिंक होना चाहिए इससे ये पता चलता है कि वे हैल्दी है। अगर मसूड़ों का रंग लाल या काला हो गया है तो इसका मतलब है कि मुंह में किसी न किसी तरह की परेशानी है। कमजोर मसूड़े होने पर दांत के संबंधित रोग बहुत ज्यादा होते हैं। मसूड़ों में तकलीफ से दांत हिलने लगते हैं, खून आने और सूजन होने से मुंह में संक्रमण बढ़ता है और बदबू आती है। गुनगुने पानी में नमक अथवा बेकिंग सोडा डालकर उससे गरारे करें इससे कुछ फायदा होगा।
दो बार करें ब्रश-
दांतों में फंसा खाना सडऩे से आती बदबू आने लगती है इस लिए दिन में 2 बार ब्रश करना चाहिए। लेकिन ब्रश के बाल नरम हों, ताकि दांतों के इनेमल को नुकसान ना पहुंचे । मसूड़ों की मजास के के लिए नीलगिरी, गंधपूरा और पुदीने के तेल का कुल्ला करें। इन तेलों में एंटीसेप्टिक गुण मौजूद होते हैं, जिससे दांत और मसूड़े सुरक्षित रहते हैं।
सड़न से आती है बदबू-
रात के समय खाना खाने के बाद ब्रश न करने की वजह से खाना दांतों में फंसा रहता है खाना खाने के दो घंटे बाद तक ये खाना लार के साथ मिलकर सड़ने लगता है। खाना सड़ने की वजह से मुंह से बदबू आने लगती है। ऐसा लगातार होने से मुंह में संक्रमण फैलता है। इससे मुंह में छाले हो जाते हैं। पाचन क्रिया, जीवनशैली और भावनात्मक तनाव का भी आपके मसूड़ों से संबंध होता है। इसलिए आपके पाचन को भी दुरूस्त रखने का प्रयास करें। तनाव न लें।
इलाज-
मसूड़ों की समस्याओं के ईलाज के लिए फ्लैप सर्जरी करते हैं। इसमें मसूड़े की जड़ तक जाकर हिल रहे या गिरने वाले दांतों को बचाते हैं। दांतों के बीच की गैपिंग ब्रेसेस (तार) से ठीक करते हैं। दांतों को मजबूत बनाने के लिए विटामिन-सी और कैल्शियम जरूरी है।
नोट – उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सामान्य के लिए हैं इन्हें किसी प्रोफेशनल डॉक्टर की सलाह के रूप में न समझें। कोई भी बीमारी या परेंशानी हो तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें ।
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