मोरबी । गुजरात (Gujarat) के मोरबी में पुल गिरने की घटना (Morbi Bridge Accident) ने पूरे देश को हिला कर रख दिया. इस घटना में कई लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए. बहुत से लोगों ने इस घटना में अपने प्रियजनों को हमेशा के लिए खो दिया. पुल का रखरखाव करने वाली कंपनी के कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. वहीं, मोरबी पुल हादसे से जुड़ी कई कहानियां (stories) लोगों को हैरान कर रही है. ऐसी ही एक कहानी है दो भाई की, जो मोरबी हादसे के बाद लोगों की मदद के लिए आगे आए.
बेटे की मोटरसाइकिल देख उड़े होश
जब पुल गिरने की खबर मोरबी में जंगल की आग की तरह फैल गई, तो दो भाई गणपत राठौड़ और उनके बड़े भाई मनु ने 30 अक्टूबर की रात को बचाव कार्यों में मदद करने के लिए घटनास्थल पर पहुंचने से पहले दो बार नहीं सोचा. दोनों भाइयों ने नदी में डूबते हुए पीड़ितों को अंधेरे के बीच किनारे तक पहुंचने में मदद की. दोनों भाइयों ने जितना हो सके उतने पीड़ितों को बाहर निकाला. शवों को समेटते समय गणपत ने अचानक देखा कि उनके बेटे विजय की मोटरसाइकिल पास में ही खड़ी है. गणपत इस चौंकाने वाले अहसास से बेहोश हो गए कि उनके द्वारा निकाले गए शवों में से एक उनके बेटे का था!
दोनों चचेरे भाई का मिला शव
गणपत और उसके भाई ने नदी से 12 शव बरामद किए और शोक संतप्त परिवार के सदस्यों की पहचान के लिए उनकी व्यवस्था की. इस दौरान गणपत ने अचानक अपने बेटे की मोटरसाइकिल को सस्पेंशन ब्रिज गेट के पास देखा. बेटे की मोटरसाइकिल देखते ही गणपत के होश उड़ गए. अपने भाई को अपने बेटे की मोटरसाइकिल पर घूरते हुए देखकर, बड़े भाई को तुरंत समझ में आ गया कि विजय वहां अकेले नहीं जा सकता था और निश्चित रूप से अपने चचेरे भाई, जगदीश, मनु के बेटे को भी साथ ले गया था. राजमिस्त्री का काम करने वाले गणपत ने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि चचेरे भाई एक साथ पढ़ते और खेलते थे. वे एक साथ रहते और कहीं भी जाते तो हमेशा साथ में रहते थे.
कुछ दिन पहले ही मिली होमगार्ड की नौकरी
मनु और गणपत का एक-एक बेटा है और उन्होंने कभी भी अपनी आर्थिक तंगी को अपने बेटों की शिक्षा में बाधा नहीं बनने दिया. अपने भाई को सांत्वना देते हुए मनु ने कहा, “विजय को हाल ही में होमगार्ड की नौकरी के लिए चुना गया था और उसे 1 नवंबर से ड्यूटी पर शामिल होना था. उसकी मृत्यु से दो दिन पहले उसे अपनी वर्दी भी मिली थी. अपने घर को लेकर उन्होंने बताया है कि उनका घर प्रधानमंत्री आवस योजना के तहत बना है लेकिन अब उनके घर में कोई रहेगा ही नहीं. उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से 6 लाख रुपये का मुआवजा भी दिया गया है लेकिन वे उसका क्या कर सकते हैं क्योंकि अपना बेटा ही खो दिया है. उन्होंने कहा है कि उन दोनों ने ही अपने बेटों को खोकर अपना सबुकछ खो दिया है.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved