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Gujarat: इस बार भी PM मोदी ही रहे राजनीति के केन्द्र में, समर्थन हो या फिर विरोध

December 02, 2022

अहमदाबाद। गुजरात विधानसभा चुनाव (gujarat assembly election) के केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ही हैं। चाहे बात उनके समर्थन की हो या विरोध की। दरअसल बीते 27 साल से अपराजेय भाजपा (BJP) में 21 साल नरेंद्र मोदी के रहे हैं। वही विरोध और समर्थन की राजनीति के केंद्र बिंदु भी रहे हैं। ऐसे में चुनाव लोकसभा का हो या विधानसभा का, नरेंद्र मोदी के इर्द-गिर्द सिमट जाता है। इस बार भी वही तस्वीर दिखाई दे रही है।

गुजरात के लोग मानते हैं कि 2001 में आए भयानक भूकंप के बाद राज्य को संभालने का जो काम तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुआ वह किसी और के नेतृत्व में शायद नहीं हो पाता। नर्मदा के पानी को लाने की आधी-अधूरी योजनाओं को तेजी से पूरा किया और नर्मदा कैनाल के जरिए सूखी और बंजर को हरा-भरा करने का बड़ा काम किया गया। सुरेंद्रनगर की नर्मदा कैनाल भी एक महत्वपूर्ण परियोजना रही है। खाली जगह पर सोलर पैनल लगाए गए। इससे बिजली उत्पादन बढ़ा। सड़कों का जाल बिछाया गया, उद्योगों को नई गति दी गई।


मोदी के नेतृत्व में कई ऐसे काम हो रहे हैं जो सभी धर्मों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। गिरनार रोप-वे, अंबाजी, पावागढ़ और डाकोर में तीर्थ स्थलों के विकास के लिए किए जा रहे काम काफी महत्वपूर्ण है। गिरनार में देश के कई प्रमुख जैन संत रहते हैं और वहां तक रोप-वे के जरिए श्रद्धालु अब आसानी से पहुंच पाएंगे। महात्मा गांधी से जुड़े दांडी कुटीर व साबरमती आश्रम को नये सिरे से सजाया संवारा जा रहा है।

सरदार पटेल की केवड़िया में बनाई गई विशालतम प्रतिमा गुजरात की भावनाओं का सम्मान करने और पटेल के भारतीय राजनीति में कद से लोगों को रूबरू कराने के साथ गुजरात की अर्थव्यवस्था का भी पहलू है। यहां पर रोजाना औसतन 40 हजार पर्यटक आ रहे हैं। भावनगर से सूरत के बीच शुरू की गई रो-रो सेवा परिवहन का बड़ा माध्यम बन गई है। इससे पर्यावरण और समय बचने के साथ जहां सड़क मार्ग से जाने में 12 घंटे लगते थे अब वह रो-रो से 3 घंटे लगते हैं। इससे पांच टन पेट्रोल ईंधन की बचत भी हो रही है।

कच्छ का रण उत्सव अंतरराष्ट्रीय ख्याति हासिल कर रहा है और इतना ही बनासकांठा में भारत-पाकिस्तान सीमा पर वाघा सीमा की तरह बीटिंग रिट्रीट शुरू करने पर भी तेजी से काम हो रहा है। पशुधन पर भी गुजरात में नए तरीके से काम हो रहा है। पहली बार बूढ़े जानवरों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन और पशुओं के लिए डेंटिस्ट रखे जा रहे हैं। बनासकांठा में बन्नी भैंस की प्रजाति को विकसित करने पर काम किया जा रहा है।

गुजरात में कई तरह की यूनिवर्सिटी भी लाई जा रही हैं। इनमें फॉरेंसिक, रक्षा, चिल्ड्रन, ऊर्जा यूनिवर्सिटी जैसी बड़ी पहल शामिल है। कोशिश है कि गुजरात के लोग तो बाहर पढ़ने जाएं ही नहीं, बल्कि बाहर के लोग गुजरात में पढ़ने आए। यह केवल शिक्षा तक ही सीमित नहीं है। खेल के क्षेत्र में भी सरदार बल्लभ भाई पटेल स्पोट्र्स कंपलेक्स को इस तरह विकसित किया जा रहा है कि वह आने वाले समय में देश के बड़े और भव्य खेल आयोजनों मसलन ओलंपिक और कॉमनवेल्थ खेलों के लिए तैयार हो सके। एक जगह पर लगभग 34 स्टेडियम बनाए जा रहे हैं।

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