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    मोरबी हादसे पर गुजरात सरकार और मोरबी नगर निगम को कड़ी फटकार लगाई गुजरात हाई कोर्ट ने

  • November 15, 2022


    अहमदाबाद । गुजरात हाई कोर्ट (Gujarat High Court) ने मोरबी हादसे पर (On Morbi Accident) गुजरात सरकार (Gujarat Government) और मोरबी नगर निगम (Morbi Municipal Corporation) को कड़ी फटकार लगाई (Reprimanded) । कोर्ट ने कहा कि मोरबी नगर पालिका को होशियारी दिखाने की जरूरत नहीं है। हाई कोर्ट ने मोरबी पुल हादसे पर स्वत: संज्ञान ली गई जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की।


    चीफ जस्टिस अरविंद कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने सवाल किया कि, ’15 जून 2016 को कॉन्ट्रैक्टर का टर्म समाप्त हो जाने के बाद भी नया टेंडर क्यों नहीं जारी किया गया ? बिना टेंडर के एक व्यक्ति के प्रति राज्य की ओर से कितनी उदारता दिखाई गई ? अदालत ने कहा कि राज्य को उन कारणों को बताना चाहिए कि आखिर क्यों नगर निकाय के मुख्य अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू नहीं की गई ? बेंच ने राज्य सरकार से यह भी जानना चाहा कि क्या उन लोगों के परिवार के सदस्य को सहायता के तौर पर नौकरी दी जा सकती है, जो अपनी फैमिली में अकेले कमाने वाले थे, लेकिन इस दुर्घटना में उनकी मौत हो गई। वहीं, राज्य मानवाधिकार आयोग के वकील ने कोर्ट को बताया कि इसकी पुष्टि की जा रही है कि संबंधित परिवारों को मुआवजा दिया गया है या नहीं।

    हाई कोर्ट में अब इस मामले पर अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी। बेंच ने पूछा कि पहला एग्रीमेंट समाप्त हो जाने के बाद किस आधार पर ठेकेदार को पुल को तीन सालों तक ऑपरेट करने की इजाजत दी गई? अदालत ने कहा कि इन सवालों का जवाब हलफनामे में अगली सुनवाई के दौरान देना चाहिए, जो कि दो हफ्तों के बाद होगी।

    महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने कहा कि अथॉरिटी को मरम्मत कार्यों की जानकारी दिए बिना ही पुल को 26 अक्टूबर को निजी संस्था के अधिकारियों ने खोल दिया। उन्होंने कहा कि पुल की क्षमता या उसकी फिटनेस को लेकर कोई थर्ड पार्टी सर्टिफिकेट जारी नहीं हुआ। फेब्रिकेशन का काम ओरेवा ग्रुप ने देवप्रकाश सॉल्यूशंस को सौंपा था। त्रिवेदी ने बताया, ’30 अक्टूबर को दिवाली की वजह से काफी भीड़ थी। पूरे दिन में 3,165 पर्यटक आए। केवल 300 लोगों को ही पुल पर आने की इजाजत थी लेकिन इसका पालन नहीं हुआ।’

    चीफ जस्टिस अरविंद कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ की अनुपलब्धता के कारण सोमवार को इस मामले पर सुनवाई नहीं हो सकी। जस्टिस कुमार और जस्टिस आशुतोष शास्त्री की पीठ ने 30 अक्टूबर को हुए हादसे पर 7 नवंबर को राज्य सरकार और राज्य मानवाधिकार आयोग को नोटिस जारी किया, जिसमें सरकार से स्थिति रिपोर्ट मांगी थी।

    मोरबी में 30 अक्टूबर को मच्छु नदी पर ब्रिटिशकाल में बने झूलता पुल के गिरने से महिलाओं और बच्चों सहित 135 लोगों की मौत हो गई थी। हाई कोर्ट ने 7 नवंबर को कहा कि उसने पुल गिरने की घटना पर एक समाचार रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है और इसे जनहित याचिका के रूप में दर्ज किया है। मालूम हो कि पुलिस ने मोरबी पुल का प्रबंधन करने वाले ओरेवा समूह के 4 लोगों सहित 9 लोगों को 31 अक्टूबर को गिरफ्तार किया और पुल के रखरखाव व संचालन का काम करने वाली कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज किया।

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