अहमदाबाद । गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष (Former Congress President) राहुल गांधी की दोषसिद्धि (Rahul Gandhi’s Conviction) और सजा (Sentence) के निचली अदालत के फैसले पर (On the Decision of the Lower Court) रोक लगाने से इनकार कर दिया (Refused to Stay) । आपराधिक मानहानि के एक मामले में दी गई इस सजा के कारण कांग्रेस नेता की सांसदी भी चली गई है।
अदालत ने फैसला सुनाया कि दोषसिद्धि पर रोक लगाना एक अपवाद है, नियम नहीं। न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक की पीठ ने शुक्रवार को आदेश सुनाते हुए यह टिप्पणी की। अदालत ने कहा, “राहुल गांधी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की बिल्कुल निराधार मांग कर रहे हैं। दोषसिद्धि पर रोक कोई नियम नहीं है। (गांधी) के खिलाफ 10 मामले लंबित हैं। राजनीति में शुचिता की जरूरत है। “कैम्ब्रिज में गांधी द्वारा वीर सावरकर के खिलाफ शब्दों का इस्तेमाल करने के बाद पुणे कोर्ट में वीर सावरकर के पोते द्वारा (गांधी) के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है।दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार करने से किसी भी तरह से आवेदक के साथ अन्याय नहीं होगा। दोषसिद्धि पर रोक लगाने का कोई उचित आधार नहीं है। दोषसिद्धि उचित, सही और कानूनी है।” मानहानि का मामला, जो 2019 के लोकसभा चुनाव अभियान से जुड़ा है। उन्होंने कर्नाटक में एक जनसभा में कहा था़ “सभी चोरों का एक ही सरनेम मोदी कैसे है।”
इस टिप्पणी की व्याख्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भगोड़े व्यवसायी नीरव मोदी और ललित मोदी के बीच एक अंतर्निहित संबंध निकालने के प्रयास के रूप में की गई थी। राहुल गांधी के वकील बी.एम. मंगुकिया ने कहा, “साक्ष्यों के अभाव के बावजूद यह फैसला सुनाया गया है। मामले के बारे में अदालत की टिप्पणियों में, इसका विश्लेषण गलत है। राहुल गांधी पर जिन बातों का आरोप है, उनका कोई सबूत नहीं है।”
युवा कांग्रेस प्रमुख श्रीनिवास बीवी ने कहा, ”आप कभी भी सच्चाई को हरा नहीं सकते। यह फैसला क्यों लिया गया ये सभी जानते हैं। जब राहुल गांधी जी ने अडाणी मुद्दे पर बात की और ‘शेल कंपनियों’ के माध्यम से समूह में आने वाले 20,000 करोड़ रुपये के बारे में पूछा – तो यह मुद्दा शुरू हुआ। देश की जनता यह देख रही है और वह सच्चाई का पक्ष लेगी। हम भी लड़ना जारी रखेंगे।”
कांग्रेस प्रवक्ता अलका लांबा ने कहा, “यह कोई झटका नहीं है। यह कानूनी लड़ाई है और हम इसे लड़ेंगे। राहुल गांधी बस एक ही बात कहते हैं, ‘डरो मत’ और हम डरने वाले नहीं हैं। हम लड़ेंगे और जीतेंगे क्योंकि यह लोकतांत्रिक अधिकारों के खिलाफ है। राहुल गांधी ने अभी अडाणी के खिलाफ और शेल कंपनियों द्वारा उनके 20,000 करोड़ रुपये के निवेश पर एक सवाल पूछा था। हम इस लड़ाई को अंत तक लड़ेंगे।” कांग्रेस कोषाध्यक्ष पवन बंसल ने कहा, “यह फैसला गलत है। यह फैसला नहीं लिया जाना चाहिए था।”
यह मामला कर्नाटक के कोलार में 2019 की एक रैली से जुड़ा है, जहां राहुल गांधी ने कहा था: नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी। सभी चोरों का उपनाम ‘मोदी’ कैसे हो सकता है? इस टिप्पणी पर सूरत के भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया। गांधी को सूरत की एक अदालत ने दो साल की जेल की सजा सुनाई थी, जिसके कारण उन्हें संसद सदस्य के रूप में अयोग्य ठहराया गया था। पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस प्रच्छक ने इस बात पर जोर दिया था कि जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि होने के नाते राहुल गांधी को बयान देते समय अधिक सतर्क रहना चाहिए था। इस साल की शुरूआत में, सूरत में सत्र न्यायालय ने राहुल गांधी की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा उनकी सजा को निलंबित करने की मांग की गई थी, जिसमें कहा गया था कि उनकी अयोग्यता से उन्हें अपरिवर्तनीय नुकसान नहीं होगा।
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