गांधीनगर। गुजरात सरकार ने एक बार फिर से कच्छ में प्राचीन हड़प्पा संस्कृति की तर्ज पर धोलावीरा को भी एक विश्व धरोहर स्थल के रूप में विकसित करने की कवायद तेज कर दी है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने हड़प्पा नगरी-धोलावीरा को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए यूनेस्को के विश्व विरासत केंद्र में नामांकन के लिए एक डोजियर भेजा है। साथ ही राज्य सरकार ने इस साइट को विकसित करने के लिए दो समितियों का गठन भी किया है।
राज्य सरकार ने धोलावीरा स्थल के बफर ज़ोन में पर्यटक अधोसंरचना स्थापित करने का निर्णय लिया है, जिसमें पानी, बिजली और स्वच्छता की सुविधाएं होंगी। धोलावीरा तक पहुंचने के लिए सड़क संपर्क बढ़ाने के लिए तीन खदिर से खावड़ा, खाचिर से भचाऊ और संतलपुर-खादिर-खावड़ा तक सड़क का निर्माण किया जाएगा, जबकि मौजूदा तीन सड़कें, रापर-धोलावीरा, भचाऊ-रापर और रापर-अडेसर की मरम्मत की जाएगी। राज्य सरकार ने धोलावीरा के विकास के लिए एक साइट प्रबंधन योजना तैयार करने, नीतिगत फैसले लेने और उन्हें लागू करने के लिए दो समितियों का गठन किया है। मुख्य सचिव अनिल मुकीम के नेतृत्व में राज्य स्तर की 16 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति और छह सदस्यीय समिति का गठन कच्छ के जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में की गई है।
राज्य के पर्यटन विभाग के शीर्ष सूत्रों के अनुसार धोलावीरा स्थल का दौरा करने और राज्य के मुख्य सचिव के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक करने के लिए एक उच्चस्तरीय यूनेस्को प्रतिनिधिमंडल जल्द ही गुजरात आ रहा है। धोलावीरा को पुनर्विकसित करने में कितना खर्च आएगा, इस पर प्रशासन फिलहाल चुप है। राज्य में, अहमदाबाद को 2013 में यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत शहर के रूप में घोषित किया गया है और इससे पहले चांपानेर को भी विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया गया है।
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