गांधी नगर। गुजरात (Gujrat) के बनासकांठा (Banaskatha) में गौशाला संचालकों (Goushala operators) द्वारा पिछले कई दिनों (Many days) से विरोध प्रदर्शन (Opposition) किया जा रहा है. सरकार (Government) द्वारा आश्रय गृहों (Shelter homes) को चलाने के लिए 500 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता (Financial help) ना मिलने से वे परेशान (Worride) हैं. बनासकांठा जिले में अब तक करीब 10 हजार गायें (Ten Thousand Cows) सड़क (On Road) पर छोड़ी जा चुकी हैं. दरअसल, गौशाला संचालकों को गुजरात सरकार ने मार्च 2022 में आश्रय गृहों को चलाने के लिए 500 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देने का ऐलान किया था. लेकिन 7 महीने बीत जाने के बाद भी अब तक यह पैसा नहीं मिला.
कई साधु-संतों और गौभक्तों को कानून व्यवस्था बिगाड़ने के आरोप में प्रदर्शन के बाद हिरासत में लिया गया है. इनमें रमेशभाई पटेल, बाबूभाई धेमेचा, ठाकुरभाई राजपूत, गोविंदभाई राजपूत, सुरेशभाई धेमेचा, हिनाबेन ठक्कर, जानकीदास बापू, रामरतन संत टेटोडा समेत संत रामरतन बापू और धर्मशास्त्री किशोरभाई शामिल हैं. धर्मशास्त्री किशोरभाई ने कहा कि न्याय न मिलने तक आंदोलन जारी रहेगा. बता दें, पिछले पांच दिनों से यहां गौशाला संचालकों का आंदोलन जारी है.
वहीं, गायों को इस तरह सड़क पर छोड़े जाने से हाईवे पर ट्रैफिक जाम लग गया है, जिसे पुलिस हटवाने की कोशिश कर रही है. हाईवे से गुजरने वाले वाहन चालकों को इसके कारण काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. गौभक्तों का कहना है कि अब सरकार के भरोसे गायों को छोड़ दिया गया है. डिसा, धनेरा, वाव, थरद, दंतीवाड़ा, लखनी, दियोदर, भाभर, मालगढ़ सहित कई जगहों पर गाय को ऐसे ही सड़कों पर छोड़ दिया गया है.
गौशाला संचालकों कहना है कि वर्ष 2022-23 के लिए राज्य के बजट में किए गए वादे के अनुसार वित्तीय सहायता की मांग कर रहे हैं. बनासकांठा में अकेले करीब 4.5 लाख गायों को आश्रय देने वाले 1,500 पंजरापोल हैं. 170 पंजरापोल आश्रय में 80,000 गाय हैं. पंजरापोल ट्रस्ट को उन्हें खिलाने के लिए प्रतिदिन प्रति मवेशी 60 से 70 रुपये का खर्च वहन करना पड़ता है. कोविड के बाद, पंजरापोल को मिलने वाला दान भी कम हो गया है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार जल्द से जल्द राशि जारी नहीं करती है तो आंदोलन उग्र रूप ले लेगा. बता दें, इस आंदोलन में अब हर गांव से लोग जुड़ रहे हैं.
पहले दिन सरकार के घेरने के लिए गांधीनगर में धरना प्रदर्शन हुआ था. वहां कई संत भी जुड़े थे उसके बाद बनासकांठा जिले में इस आंदोलन की शुरुआत हुई. यहां 48 घंटे का अल्टीमेटम देकर गौशाला संचालकों ने सरकार को चेतावनी दी गई थी कि उन्हें रकम का भुगतान किया जाए. सरकार ने जब इस पर कोई एक्शन नहीं लिया तो गौशाला संचालकों ने गायों को छोड़ दिया.
अब यह आंदोलन तूल पकड़ रहा है. आंदोलनकारियों ने अपनी एक आंदोलन छावनी भी बनाई है. डीसा साईं बाबा स्थित इस छावनी में रोज लोग आ रहे हैं. इस आंदोलन में सामूहिक मुंडन भी करवाया गया. जिसमें 101 लोगों ने मुंडन करवाया है.
वहीं, डीसा में मुंडन स्थल पर करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव सिंह और गुजरात के अध्यक्ष से राजशेखावत पहुंचे. उन्होंने गौ भक्तों के साथ जुड़ने की बात भी कही है. उन्होंने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और वहां सीएम अशोक गहलोत ने हर गाय के लिए प्रत्येक दिन के खर्च के लिए 50 रुपये प्रतिदिन का भुगतान किया है. यहां बीजेपी की सरकार है और वो गौशालाओं के लिए कुछ भी नहीं कर रही. अगर सरकार ने बात नहीं मानी तो हम भी इनके साथ आगे के आंदोलन में जुड़ जाएंगे.
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