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गुजरात चुनाव: रविन्द्र जडेजा की पत्नी रिवाबा क्या लगा पाएंगी जीत का छक्का!

November 22, 2022

गांधीनगर: दिसंबर में होने वाले गुजरात चुनाव के लिए जामनगर उत्तर से भाजपा प्रत्याशी रिवाबा जडेजा ने चुनाव में खुद को पूरी तरह झोंक दिया है. वह बुरी तरह से थकी हुई हैं लेकिन फिर भी चुनाव कार्यालय के उद्घाटन के दौरान मुस्कुराते हुए सभी से मिल रही थीं. उनके साथ 2017 में विधानसभा चुनाव में इसी सीट से जीत हासिल कर चुके धर्मेन्द्र सिंह जडेजा हैं. इसमें एक साफ संदेश भी छिपा हुआ है कि प्रत्याशी चयन में अंतिम फैसला पार्टी का ही होगा. सोमवार को जब रिवाबा जडेजा अपने क्रिकेटर पति रविन्द्र जडेजा के साथ हवाई अड्डे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के लेने पहुंचीं, तो शाह ने उनसे चुनाव अभियान की जानकारी ली. जिस पर रिवाबा ने मुस्कुराते हुए कहा कि सब बढ़िया चल रहा है.

तमाम तरह की रुकावटों से बेफिक्र रिवाबा जडेजा अपनी असली ताकत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रेरणादायी शब्दों और अपने पति के समर्थन को मानती हैं. जिन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि उनकी हर जरूरत पूरी हो. अपने पति के समर्थन के बारे में बताते करते हुए भाजपा प्रत्याशी कहती हैं कि ‘मैं लेस वाले स्नीकर पहन रही थी और जहां पर लोग जमा होते थे या मंदिर में जाने के दौरान मुझे बार-बार जूते उतारने में बहुत परेशानी हो रही थी. मैंने इनसे (रविन्द्र जडेजा) से कहा कि मेरे पास इतना भी वक्त नहीं है कि मैं अपने लिए एक स्लिप-ओन (बगैर लेस वाले जूते, जिन्हें सीधा पहना जा सकता है) नहीं खरीद पा रही हूं. उन्होंने मेरे पैर का नंबर पूछा और एक जोड़ी जूते भिजवा दिए. यह रविन्द्र का बिल्कुल नया रूप है. इस तरह छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखते हुए वह मेरा ध्यान रख रहे हैं.’

‘वो मेहनत कर रहे हैं, मेरे लिए’
पार्टी ने जिस तरह से समय तय किया है, उसके मुताबिक रविन्द्र जडेजा ने अपना प्रचार अभियान मंगलवार से शुरू किया. रिवाबा कहती हैं कि ‘पार्टी ने जिस तरह से तय किया है उस हिसाब से हम लोग अलग-अलग जगह पर जाएंगे. लोग उनसे मिलना चाहते हैं. ‘उनकी तरफ से वो मेहनत कर रहे हैं, मेरे लिए’. हम लोगों से मिलने से अपनी दिन की शुरुआत कर रहे हैं.’ चुनाव में इस सीट पर उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रत्याशी बिपेन्द्रसिंह जडेजा और पूर्व भाजपा नेता और आम आदमी पार्टी प्रत्याशी करसन करमूर से है. वहीं दूसरी तरफ कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि धर्मेन्द्र सिंह चुनाव में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. जब उनसे यह सवाल पूछा गया तो पूर्व विधायक ने कहा कि ‘मैं उनके साथ हूं, जब भी उन्हें मेरी जरूरत होगी, मैं उपलब्ध रहूंगा.’

PM मोदी के कहने पर ही रिवाबा भाजपा में हुईं शामिल
2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आग्रह और सलाह पर ही रिवाबा जडेजा भाजपा में शामिल हुईं थीं. रिवाबा कहती हैं कि ‘मैं बचपन से ही समाज के लिए अपना योगदान देना चाहती थी, मैंने सिविल सेवा में जाने के बारे में सोचा. फिर मैं तीन साल के लिए दिल्ली गई और भारतीय वायु सेना में रही. लेकिन नियति को शायद कुछ और मंजूर था. मेरी शादी हुई और जिंदगी अलग दिशा में मुड़ गई. परिवार प्राथमिकता बन गया. लेकिन तब भी समाज के लिए कुछ करने की तड़प दिल में थी.’ पार्टी में शामिल होने के अपने सफर को बयान करते हुए वह कहती हैं कि ‘हम 2018 में प्रधानमंत्री से मिले और उनसे कई मुद्दों पर बात हुई. उस दौरान मुझे पहली बार अहसास हुआ कि मुख्यमंत्री से देश के प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचने के बावजूद वह किस हद तक जमीन से जुड़े हुए हैं. उन्होंने हमें इतना सहज महसूस कराया कि बता नहीं सकती. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि मुझे अपनी ऊर्जा सही दिशा में लगानी चाहिए और पार्टी के मंच से मैं अपने सपने को साकार कर सकती हूं. मैं 2019 में भाजपा में शामिल हो गई.’


पति के साथ बहुत कम क्रिकेट टूर पर गईं
अपने सेलिब्रिटी व्यक्तित्व के साथ क्या वह लोगों से नाता जोड़ पाएंगी? इस सवाल के जवाब में वह कहती हैं कि वह लोगों को यह समझाने में कामयाब हो गई हैं कि वह उन्ही में से एक हैं. वह कहती हैं कि ‘उन्हें ऐसी भी टिप्पणी सुनने को मिली कि जब पति आईपीएल मैच खेल रहे हैं, तो वह गांवों में क्यों घूम रही हैं. उन्हें भी क्रिकेट मैच में जाना चाहिए.’ रिवाबा हंसते हुए कहती हैं कि ‘मैं खुश हूं कि ऐसी पत्नियां जो क्रिकेटर पतियों के साथ उनके टूर पर जाती हैं, उस सूची में वह सबसे अंत में हैं. और अभी तक वह सबसे कम मैचों में शरीक हुई हैं.’ क्या उन्हें क्रिकेटरों की पत्नियों से कोई संदेश मिला है? इस पर रिवाबा ने कहा कि ‘मुझे उनकी तरफ से शुभकामनाओं के संदेश मिले हैं. लेकिन मैं इन दिनों चुनाव प्रचार में बुरी तरह व्यस्त हूं, लेकिन हां वे सभी बहुत खुश हैं. वे सभी भी किसी ना किसी तरह से महिला सशक्तिकरण के लिए कुछ न कुछ काम कर ही रही हैं.’

परिवार का समर्थन सबसे अहम
रिवाबा जडेजा कहती हैं कि ‘जब मैं महिला सशक्तिकरण के बारे में बोलती हूं, तो मेरा मानना है कि परिवार का समर्थन उसमें सबसे अहम है. जब आपकी शादी हो जाती है तो पति का समर्थन सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है.’ भाजपा नेता मानती हैं की महिला सशक्तिकरण की शुरुआत घर से होती है. वह चाहेंगी की अपनी पत्नियों के सपनों को पूरा करने के लिए पतियों को उनके पीछे खड़ा रहना चाहिए. क्या वह चुनाव को लेकर घबराई हुई हैं? इसके बारे में वह कहती हैं, ‘हर किसी की शुरुआत कहीं न कहीं से होती है. मैं सौभाग्यशाली हूं कि मैं भाजपा परिवार का हिस्सा हूं. वे मुझे कभी भी कमज़ोर नहीं होने देंगे. प्रधानमंत्री एक प्रेरणा हैं और उनके शब्द प्रोत्साहित करते हैं. वह मेरे लिए बूस्टर डोज की तरह होता है.’

मतभेद हो पर मनभेद नहीं
उनकी भाभी इसी सीट पर कांग्रेस के लिए प्रचार कर रही हैं. क्या यह बात उन्हें परेशान कर रही है? इस सवाल के जवाब में रिवाबा कहती हैं कि परिवार में सभी अपना फैसला और विचारधारा चुनने के लिए आजाद हैं. यह पहली बार नहीं है कि एक ही परिवार के दो सदस्य अलग-अलग विचारधारे से जुड़े रहे हों. रिवाबा ने कहा कि ‘उनकी अपनी विचारधारा है और मेरी अपनी विचारधारा है. हम अपने-अपने रास्ते पर हैं. मतभेद हो सकता है पर मनभेद नहीं होना चाहिए.’ भाजपा के लिए पहली बार चुनाव मैदान में उतरी रिवाबा का मकसद जामनगर को स्मार्ट नगर में तब्दील करना है.

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