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    गुजरात चुनाव : क्‍या नरेंद्र मोदी स्टेडियम के नाम बदलने के कांग्रेस के वादे से पार्टी होगा फायदा?

  • November 14, 2022

    नई दिल्‍ली । गुजरात (Gujarat) में 1 और 5 दिसंबर को विधानसभा चुनाव (assembly elections) के लिए मतदान (vote) होना है. इससे पहले हर एक पार्टी जनता को लुभाने में लगी हुई है. गुजरात में भी कांग्रेस पार्टी (Congress Party) ने भी अपना चुनावी घोषणापत्र (election manifesto) जारी कर दिया है. जिसके बाद एक बार फिर गुजरात का मोटेरा स्टेडियम (Motera Stadium) चर्चा में आ गया है. कांग्रेस ने गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए जारी किए अपने घोषणा पत्र में मोटेरा के नरेंद्र मोदी स्टेडियम (Narendra Modi Stadium) का नाम बदलकर सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Vallabh Bhai Patel) किए जाने का वादा किया है.

    गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ पर्यवेक्षक और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पार्टी का घोषणा पत्र जारी करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस गुजरात विधानसभा चुनाव में सत्ता में आती है तो अहमदाबाद के मोटेरा स्थित नरेंद्र मोदी स्टेडियम का नाम बदलकर फिर से सरदार वल्लभ भाई पटेल कर दिया जाएगा.

    कांग्रेस के घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष दीपक बाबरिया ने बताया है कि करमसाद कस्बे (सरदार वल्लभ भाई पटेल के पैतृक गांव) के कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं की तरफ से ये मांग की गई है कि मोटेरा किक्रेट स्टेडियम का नाम सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम पर किया जाए. जो इसका मूल नाम था. जिसको लेकर पार्टी का कहना है कि विधानसभा चुनाव जीतने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में ये फैसला लिया जाएगा और नरेंद्र मोदी स्टेडियम का नाम बदलकर सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम पर कर दिया जाएगा.


    बता दें की 24 फरवरी 2021 को अहमदाबाद के इस सरदार पटेल स्टेडियम का नाम बदलकर नरेंद्र मोदी स्टेडियम किया गया था और उस दौरान भी इस स्टेडियम का नाम को बदले जाने पर कई लोगों ने आपत्ति जताई थी. गुजरात किक्रेट एसोसिएशन ने पिछले साल इस स्टेडियम का नाम बदला था, तब कांग्रेस ने इसे देश के पहले उप-प्रधानमंत्री और गृहमंत्री रहे सरदार वल्लभ भाई पटेल का अपमान बताया था.

    वहीं दिसंबर में होने पर गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए जारी किए घोषणा पत्र में कांग्रेस ने इस बात को पूरे जोर शोर से उठाया है कि वो नरेंद्र मोदी स्टेडियम का नाम बदलकर सरदार वल्लभ भाई पटेल कर देगी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मधुसूदन मिस्त्री का तो यहां तक कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने स्टेडियम का नाम इसलिए बदला क्योंकि वो खुद की तुलना सरदार पटेल से करते हैं. बल्कि वो सरदार पटेल की तुलना में कही नहीं टिकते और इन विधानसभा चुनावों में उनको ये पता लग जाएगा. इसका जवाब जनता उनको देगी.

    वहीं कांग्रेस के इन आरोपों का पलटवार करते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस को सरदार पटेल के बारे में बात करने का कोई अधिकार नहीं है. कांग्रेस सरदार पटेल का कितना सम्मान करती है ये तो बहुत सालों पहले ही दिख गया था. देश की आजादी के दौरान सरदार पटेल सबकी पहली पसंद होने के बावजूद देश का पहला प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को ही बनाया गया था. इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ बनवाया है लेकिन कांग्रेस के शायद ही किसी नेता ने वहां का दौरा किया हो.

    वहीं पाटीदार समुदाय से जु़ड़े सरदार सम्मान संकल्प आंदोलन समिति नाम से एक संगठन ने भी इसका नाम बदलने की मांग की है. ये मांग गुजरात में पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के उसी ग्रुप ने की थी जिसने साल 2015 में पाटीदार आरक्षण के लिए गुजरात में व्यापक आंदोलन किया था.

    हालांकि इसी साल मई के महीने में हार्दिक पटेल कांग्रेस पार्टी का दामन छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. बीजेपी ने 28 साल के हार्दिक पटेल को गुजरात विधानसभा चुनाव में विरामगाम विधानसभा सीट से उम्मीदवार भी बनाया है.

    वहीं पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के बीजेपी में शामिल होने के बाद कांग्रेस, पटेल समुदाय का समर्थन पाने के लिए भी पुरजोर कोशिश कर रही है. जिसके लिए पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में नरेंद्र मोदी स्टेडियम का नाम बदलकर सरदार पटेल किए जाने की बात कही है. जिससे कि पाटीदार (पटेल) समुदाय का समर्थन ना केवल इस चुनाव में मिले बल्कि आने वाले साल 2024 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस की छवि पटेल समुदाय के बीच बनी रहे.

    पाटीदार समुदाय क्यों है गुजरात में किंगमेकर
    पटेल समुदाय गुजरात में बीजेपी का एक बड़ा वोट बैंक है और गुजरात में पटेल समुदाय की जनसंख्या करीब 80 फीसदी है. गुजरात में लगभग सभी क्षेत्रों मेइस समुदाय के लोगों की भागीदारी है. बड़े-बड़े करोड़पतियों से लेकर खेती, व्यापार, सरकारी कामकाज और राजनीति में भी इस समुदाय की भागीदारी देखी जाती है.

    ऐसे में अक्सर हर चुनाव में गुजरात में राजनीतिक पार्टियां इस समुदाय को अपनी-अपनी ओर आकर्षित करने के लिए कई दांव चलती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात में करोड़पति पटेलों की एक लंबी सूची है. और नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते इस समुदाय के लोगों की संपत्ति में 10 गुना तक की बढ़ोत्तरी भी देखने को मिली.

    ऐसे में तब से ही ये समुदाय बीजेपी का बड़ा वोट बैंक बन गया और इस बार पाटीदार नेता हार्दिक पटेल भी कांग्रेस पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं. ऐसे में कांग्रेस पार्टी के पास अब सरदार वल्लभ भाई पटेल का ही सहारा है, जिससे वो इस समुदाय को अपनी ओर आकर्षित कर सकती है.

    इसीलिए कांग्रेस ने बीजेपी के इस वोट बैंक में सेंधमारी के लिए ये दांव चला है जिसमें वो नरेंद्र मोदी स्टेडियम का नाम बदलकर सरदार पटेल करने की बात कर रही है. कांग्रेस ने अपने इस घोषणा पत्र में गुजरात में 10 लाख सरकारी नौकरियां देने का भी वादा किया है. साथ ही 500 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर, 4 लाख रुपये कोविड मुआवजा, 10 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा, 3 लाख रुपये तक किसानों का कर्ज माफ जैसी योजनाओं का वादा किया है.

    क्या है गुजरात के इस नरेंद्र मोदी स्टेडियम का इतिहास, कब बदला गया नाम ?

    नरेंद्र मोदी स्टेडियम गुजरात के अहमदाबाद के मोटेरा में स्थित है. ये स्टेडियम दुनिया का का सबके बड़ा क्रिकेट स्टेडियम है. ये स्टेडियम सरदार वल्लभ भाई पटेल स्पोर्ट्स एन्क्लेव के अंदर बना हुआ है, जिसमें 132,000 दर्शकों के एक साथ बैठने की क्षमता है. इस स्टेडियम में क्रिकेट टेस्ट, वनडे, टी20 जैसे मैच खेले जाते हैं.

    इतिहास की बात करें तो इसका निर्माण साल 1983 में हुआ था. साल 2020 में नया स्टेडियम बनने के बाद 24 फरवरी 2021 में को इसका नाम सरदार पटेल स्टेडियम से बदलकर नरेंद्र मोदी स्टेडियम कर दिया गया. और पिछले तत्कालीन अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब भारत आए थे तो इसी स्टेडियम से ‘नमस्ते ट्रंप’ नाम से कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी.

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