अहमदाबाद. गुजरात (Gujarat) विधानसभा (assembly) ने भ्रष्ट अधिकारी (corrupt officials) और नेता, घोटालेबाज, बूटलेगर्स, ड्रग माफियाओ (Politicians, scammers, bootleggers, drug mafias) की संपत्ति जब्त करने का बिल बहुमत से पारित कर दिया. गुजरात सरकार का दावा है कि 3 साल से ज्यादा सजा वाले इस अपराध से 1 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति बनाने वाले अपराधियो के लिए लिए ये बिल सुदर्शन चक्र साबित होगा. विधानसभा सदन में गुजरात विशेष न्यायालय बिल पेश करते हुए गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने कहा कि गुजरात विशेष न्यायालय अधिनियम शराब तस्करों, जीएसटी घोटालेबाजों, लोक सेवकों, जबरन वसूली करने वाले ड्रग डीलर, राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों की संपत्ति जब्त करने के लिए बनाया गया है, जो हमारी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि सच्चा न्याय तभी होता है जब आरोपी को शीघ्र सजा मिलती है, कई अपराध गंभीर होते हैं, लेकिन सजा कम होती है. इसलिए ऐसे अपराधों के आरोपी जमानत पर रिहा हो जाते हैं और आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते रहते हैं और ऐसे अपराधों के माध्यम से आर्थिक रूप से सफल हो जाते हैं. इतना ही नहीं, उसी पैसे का इस्तेमाल फिर से आपराधिक नेटवर्क बनाने और मुकदमे लड़ने के लिए महंगे वकील नियुक्त करने में किया जाता है. कानून की खामियों का फायदा उठाकर ऐसे आरोपी मालामाल हो जाते हैं और पुलिस व न्याय व्यवस्था असहाय हो जाती है. ऐसा होने से रोकने के लिए ऐसे आरोपी को जेल भेजने के साथ-साथ उसे आर्थिक झटका देना भी बेहद जरूरी हो जाता है. इस प्रकार यह कानून अपराधियों को शीघ्र सजा देने और अपराध से एकत्रित की गई संपत्ति को जब्त करने के दोहरे उद्देश्य से लाया गया है.
इन अपराधियों पर लागू होगा कानून
बता दें कि अपराधियों की कमर तोड़ने और इस तरह कानून और पुलिस में जनता का विश्वास बनाए रखने के नेक इरादे से लाया गया गुजरात स्पेशल कोर्ट बिल विधानसभा में पारित हो गया. यह अधिनियम उन आरोपियों पर लागू होगा जिनके अपराध में सजा 3 वर्ष से अधिक है. इस अधिनियम की धारा (2) में यह स्पष्ट किया गया है कि इस अधिनियम का प्रावधान केवल उन अपराधों के लिए है जिनमें 3 वर्ष से अधिक की सजा हो और जिसमें पुलिस का मानना हो कि उस अपराध के आरोपी के पास अपराध करके अर्जित की गई संपत्ति करोड़ों से अधिक है.
इन अपराधों में शामिल लोगों पर कसेगा शिंकजा
यह अपराध किसी भी कानून के तहत 3 साल से ज्यादा की सजा का हो सकता है. यानी यह कानून शराबबंदी के तहत किसी भी अपराध, एनडीपीएस अधिनियम के तहत अपराध, जीएसटी के तहत अपराध या भ्रष्टाचार विरोधी अधिनियम के तहत अपराध पर लागू होता है. मामलों के त्वरित निपटारे के लिए अधिनियम की धारा (3) के तहत विशेष अदालत के गठन का प्रावधान किया गया है. इस अदालत में केवल उन्हीं मामलों की सुनवाई की जा सकती है जिन्हें सरकार ने इस अदालत में चलाने की अनुमति दी है. इन सभी मामलों की इन्साफी कार्यवाही अधिकतम एक वर्ष के भीतर पूरी करनी होगी.
आरोपियों की संपत्ति भी होगी जब्त
अधिनियम की धारा 15 के तहत, ऐसे मामलों में, आरोपी की आपराधिक गतिविधि से अर्जित संपत्ति को सरकार द्वारा जब्त किया जा सकता है, और यह जब्ती छह महीने की समय-सीमा के भीतर पूरी करने का भी प्रावधान है. धारा (5) के तहत ऐसे अपराधों में आरोपी की संपत्ति जब्त करने के लिए सरकार द्वारा अधिकृत एक अधिकारी को नियुक्त किया जाएगा. यह अधिकारी भी अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश स्तर का सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी होगा. अपराध जांच अधिकारी द्वारा प्राप्त संपत्ति की जब्ती के प्रस्ताव का गहन अध्ययन करने के बाद धारा-14 के तहत प्राधिकृत अधिकारी आरोपी को यह बताने के लिए नोटिस जारी करेगा कि संपत्ति कैसे प्राप्त की गई.
यदि आरोपी संबंधित मामले में बरी हो जाता है, तो वह जब्त की गई संपत्ति वापस पा सकता है. विशेष न्यायालय के आदेश के विरूद्ध एवं प्राधिकृत अधिकारी के जप्ती आदेश के विरूद्ध नाम अंकित कर उच्च न्यायालय में भी अपील की जा सकती है. यदि अभियुक्त को मूल अपराध से बरी कर दिया जाता है, तो संपत्ति वापस करने या संपत्ति की राशि पांच प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज के साथ भुगतान करने का प्रावधान किया गया है. इस कानून के लागू होने से राज्य के आम छोटे अपराधी को बड़ा गैंगस्टर बनने से रोका जा सकेगा
कानून से अपराधियों की कमर तोड़ने का दावा
यह कानून अब यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी छोटा आरोपी बड़ा गैंगस्टर न बन सके. उससे पहले ही उसकी ताकत खत्म हो जाएगी. इस कानून में सिर्फ एक व्यक्ति ही नहीं बल्कि किसी एसोसिएशन, सोसायटी, किसी धोखेबाज कंपनी या संगठन को भी आरोपी माना जा सकता है और उसकी संपत्ति जब्त की जा सकती है. संपत्ति की परिभाषा में सभी प्रकार की संपत्ति शामिल है. अब नकदी, आभूषण, शेयर, वाहन, कोई घर या दुकान या कोई अन्य प्रासंगिक सामान जब्त किया जा सकता है.
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