कोनाक्री। पश्चिम अफ्रीकी देश गिनी में तख्तापलट (coup in guinea) हो चुका है और राष्ट्रपति अल्फा कोंडे (President Alpha Conde) को हिरासत में रखा गया है. इस तख्तापलट (coup) के पीछे सेना के कर्नल ममादी डोंबोया (Colonel Mamadi Domboya) का हाथ बताया जा रहा है. कर्नल ममादी डोंबोया (Colonel Mamadi Domboya) को कभी राष्टपति (President) का सबसे भरोसेमंद माना जाता था और यहां तक कि कई मौकों पर उन्हें प्रेसिडेंट की सुरक्षा में तैनात रहने के दौरान छाता पकड़कर पीछे खड़े भी देखा गया था. लेकिन अब राष्ट्रपति के इस भरोसेमंद सिपाही ने ही उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया है.
ताजा घटनाक्रम में बागी सैनिकों ने रविवार को राष्ट्रपति भवन के पास भारी गोलीबारी की और फिर कुछ घंटों बाद राष्ट्रपति अल्फा कोंडे को हिरासत में ले लिया. इसके साथ ही सरकारी टेलीविजन पर सरकार को भंग करने का ऐलान भी कर दिया. कर्नल ममादी डोंबोया ने ऐलान करते हुए कहा कि देश की सीमाओं को बंद कर दिया गया है और इसके संविधान को अवैध घोषित कर दिया गया है. उन्होंने कहा, ‘देश को बचाना सैनिक का कर्तव्य है, हम अब एक आदमी को सत्ता नहीं सौंपेंगे, हम इसे लोगों को सौंपेंगे.’
अभी तक यह साफ नहीं है कि सेना के भीतर डोंबोया को कितना समर्थन हासिल है या फिर बीते एक दशक से भी अधिक समय से राष्ट्रपति के सबसे वफादार रहे अन्य सैनिक नियंत्रण अपने हाथों में लेने का प्रयास करेंगे या नहीं. गिनी की सेना जुंटा ने सोमवार को कहा कि गिनी के सभी गवर्नर की जगह स्थानीय कमांडर लेंगे. उन्होंने चेतावनी दी कि किसी भी तरह का इनकार देश के नए सैन्य नेताओं के खिलाफ विद्रोह माना जाएगा.
पश्चिम अफ्रीका के क्षेत्रीय गुट ईसीओडब्ल्यूएएस ने इस पूरी घटनाक्रम की निंदा की और कहा कि कोंडे को तुरंत नहीं छोड़ा गया तो देश पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने ट्वीट किया कि वह बंदूक के बल पर सरकार को बेदखल कर सत्ता हासिल करने की कड़ी निंदा करते हैं.
भीषण लड़ाई के बाद रविवार को कई घंटों तक 83 वर्षीय कोंडे का कुछ पता नहीं चला. फिर एक वीडियो सामने आया, जिसमें वह सेना की हिरासत में दिख रहे हैं. बाद में जुंटा ने एक बयान जारी करके कहा कि कोंडे अपने डॉक्टरों के संपर्क में हैं, लेकिन यह नहीं बताया कि उन्हें कब छोड़ा जाएगा.
बीते एक दशक से भी अधिक समय से सत्ता में काबिज कोंडे के तीसरे कार्यकाल की पिछले कुछ समय से काफी आलोचना हो रही थी. वहीं, कोंडे का कहना था कि उनके मामले में संवैधानिक अवधि की सीमाएं लागू नहीं होतीं. रविवार के घटनाक्रम से पता चलता है कि सेना के भीतर भी किस हद तक असंतोष पनप गया था.
सेना की स्पेशल यूनिट के कमांडर डोंबोया ने अन्य सैनिकों से खुद को जनता के पक्ष में रखने की अपील की है. साथ ही कहा कि देश को 1958 में फ्रांस से आजादी मिलने के बाद आर्थिक विकास की कमी रही हालांकि अब हमें जागना होगा.
कोंडे साल 2010 में सबसे पहले राष्ट्रपति चुने गए थे जो 1958 में फ्रांस से आजादी मिलने के बाद देश में पहला लोकतांत्रिक चुनाव था. कई लोगों ने उनके राष्ट्रपति बनने को देश के लिए एक नई शुरुआत के तौर पर देखा था, लेकिन बाद में उनके शासन पर भ्रष्टाचार, निरंकुशता के आरोप लगते रहे.
कौन है कर्नल डोंबोया?
ममादी डोंबोया गिनी की सेना में कर्नल हैं और उन्हें देश का सबसे ताकतवर सिपाही माना जाता है. उनकी ओर से चेतावनी दी गई है कि जो भी नेता सैन्य तख्तापलट को स्वीकार नहीं करेगी उसे देशद्रोही करार दिया जाएगा. कर्नल को हमेशा लाल टोपी और ब्लैक गूगल्स में देखा जाता है और वह अपनी कद-काठी से सबको प्रभावित करते हैं. गिनी के सबसे काबिल कमांडर डोंबोया अमेरिका में स्पेशल ट्रेनिंग भी ले चुके हैं. इसके अलावा उन्होंने 15 साल की सर्विस में अफगानिस्तान से लेकर कई विदेशी मिशनों पर काम किया है.
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