नई दिल्ली। जीएसटी अधिकारी (gst officer) अब ऐसे मामलों में कानूनी कार्रवाई शुरू कर सकेंगे, जहां कर चोरी, गलत ढंग से लिए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) (Input Tax Credit (ITC)) या रिफंड की रकम 5 करोड़ रुपये से अधिक (Refund amount more than Rs 5 crore) होगी। वित्त मंत्रालय के तहत आने वाली जीएसटी जांच (gst inquiry) इकाई ने शुक्रवार को नए दिशा-निर्देश में कहा, पर्याप्त सबूत मिलने पर ही जीएसटी चोरी के मामले में आरोपी (कंपनी या कारोबारी) के खिलाफ कर अधिकारी कानूनी कार्रवाई शुरू करने का फैसला ले सकेंगे।
इसमें कहा गया है, कानूनी कार्रवाई सामान्य तौर पर उन्हीं मामलों में शुरू हो सकती है, जहां कर चोरी की राशि, आईटीसी का दुरुपयोग या धोखाधड़ी से लिए रिफंड की राशि 5 करोड़ से अधिक है। कर अधिकारी को कानूनी कार्रवाई शुरू करने के लिए अपराध की प्रकृति, गंभीरता, कर चोरी या आईटीसी के दुरुपयोग की राशि, धोखाधड़ी कर रिफंड जुटाने के सबूत जमा करने होंगे। उसके बाद ही आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज करने पर अंतिम फैसला लिया जा सकेगा।
इन पर लागू नहीं होगी सीमा
वित्त मंत्रालय ने कहा कि 5 करोड़ रुपये की यह सीमा कुछ कारोबारियों पर लागू नहीं होगी। वैसे कारोबारी जिन्हें जीएसटी विभाग आदतन कर चोर मानता है यानी जो आदतन कर चोरी करते हैं, उनके मामले में यह सीमा लागू नहीं होगी। उन मामलों में भी यह सीमा लागू नहीं होगी, जहां जांच के समय गिरफ्तारी की जा चुकी है।
…तो इन्हें माना जाएगा आदतन कर चोर
किसी कंपनी या करदाता को आदतन चोर तब घोषित किया जाएगा, जब उस पर पिछले दो साल में 5 करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी या आईटीसी के दुरुपयोग या धोखाधड़ी से रिफंड जुटाने और तथ्यों को छिपाने समेत अन्य गैर-कानूनी मामलों में दो या दो से अधिक केस शामिल होने की पुष्टि होगी। इस पर केंद्रीय अप्रत्यक्ष एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने बताया कि आदतन चोरों की पहचान करने के लिए डिजिट डाटाबेस का इस्तेमाल किया जा सकता है।
दिशा-निर्देश में कहा गया है कि अगर जांच के दौरान किसी आरोपी को गिरफ्तार किया जाता है और उसकी जमानत नहीं होती है तो गिरफ्तारी के 60 दिनों के भीतर उसके खिलाफ कोर्ट में मामला पेश करने का पूरा प्रयास किया जाना चाहिए। बाकी सभी मामलों में आरोपी के खिलाफ तय समय-सीमा के भीतर जीएसटी टीम की ओर से शिकायत दर्ज करनी होगी।
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