18 फीसदी जीएसटी चोरी का है आरोप, विशाल, मंत्री, साहिल ओएस्टर सहित अन्य प्रोजेक्टों को लेकर विभाग कर रहा है कार्रवाई
इंदौर। पिछले दिनों चुनावी आचार संहिता (election code of conduct) के चलते जीएसटी (GST) विभाग ने कई व्यापारिक प्रतिष्ठानों (business establishments) पर छापामार ( raids) कार्रवाई करते हुए करोड़ों रुपए का स्टॉक और कर चोरी पकड़ी थी, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक, गारमेंट, फर्नीचर (Electronic, Garment, Furniture) से लेकर अन्य कारोबारी शामिल रहे। वहीं अब इंदौर-भोपाल (Indore-Bhopal) सहित कई शहरों के बिल्डरों के यहां भी जीएसटी छापे पड़े हैं। दरअसल कई बिल्डरों ने जीएसटी के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है, क्योंकि कर सलाहकारों के मुताबिक इसमें भ्रम की स्थिति भी रही। रेशो डील में 18 प्रतिशत जीएसटी चुकाना पड़ता है, जो कई बिल्डरों-डवलपरों ने नहीं चुकाया।
जीएसटी विभाग ने इंदौर के तीन से चार बिल्डरों और ठेकेदारों के ठिकानों पर यह कार्रवाई की है, तो भोपाल, जबलपुर, सतना सहित अन्य शहरों में भी इसी तरह छापे मारे गए। दरअसल रेशो डील पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है और विभाग का मानना है कि कई बिल्डरों ने कर अपवंचन किया है। पूर्व में भी जीएसटी विभाग इसी तरह की कार्रवाई कर चुका है, क्योंकि टर्नओवर में भी अंतर दिख रहा है। हालांकि जीएसटी विभाग ने किन-किन बिल्डर समूहों पर यह कार्रवाई की, उसका खुलासा तो नहीं किया, मगर सूत्रों के मुताबिक विशाल बिल्डर, मंत्री समूह, साहिल ओएस्टर सहित कुछ अन्य बिल्डरों पर यह कार्रवाई हुई है। दरअसल इसको लेकर बिल्डर, कालोनाइजर, डवलपरों में भ्रम की स्थिति भी है, क्योंकि अगर खुद कॉलोनी काटकर भूखंड बेचे जाएं तो उस पर तो जीएसटी नहीं लगता है, मगर अगर रेशो डील की है तो विभाग इसे डवलपर द्वारा दी जाने वाली सर्विस मानकर 18 फीसदी जीएसटी आरोपित करता है। यही स्थिति बिल्डिंग प्रोजेक्ट में भी आती है। अगर रेशोडील के साथ बिल्डिंग बनाई जाती है, जिसमें फ्लेट, ऑफिस, शोरूम बेचे जाते हैं, तो उस पर भी जीएसटी देय है। हालांकि कई जानकार, बिल्डर और डवलपर जीएसटी में अपना रजिस्ट्रेशन करवा लेते हैं और जो 18 फीसदी टैक्स चुकाते हैं उसे फिर बाद में मटेरियल खरीदी में लगने वाले टैक्स में समायोजित करते हैं। जैसे सीमेंट, सरिया, गिट्टी या अन्य सामग्री खरीदी जाती है।
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