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    कर चोरी रोकने को खाद्य उत्पादों पर लगी GST, सरकार बोली- कुछ राज्यों ने की थी इसकी मांग

  • July 25, 2022


    नई दिल्ली। पैकेटबंद सामान एवं खाद्य पदार्थों पर जीएसटी लगाने के फैसले का बचाव करते हुए राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कहा कि इन उत्पादों पर हो रही कर चोरी रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। कुछ राज्यों ने भी इसकी मांग की थी। उन्होंने कहा, पैकेटबंद खाद्य पदार्थों पर 18 जुलाई, 2022 से जीएसटी लगाने का फैसला केंद्र सरकार का नहीं बल्कि जीएसटी परिषद का है।

    जीएसटी दरों पर सुझाव देने वाली फिटमेंट समिति ने इस बारे में निर्णय किया था। समिति में केंद्र के अलावा राज्यों के भी अधिकारी होते हैं। बजाज ने कहा, जीएसटी से पहले इन वस्तुओं पर कई राज्यों में कर लगता था। जुलाई, 2017 में जीएसटी आने के समय यह परिपाटी जारी रहने की परिकल्पना की गई थी। लेकिन, नियम और परिपत्र सामने आए तो यह कर ब्रांडेड उत्पादों पर लगाया गया था।

    राज्यों ने की थी कर चोरी की शिकायत
    नियमों के मुताबिक, अगर ब्रांड कार्रवाई-योग्य दावों को छोड़ देते हैं तो पहले से पैक सामानों पर जीएसटी नहीं लगाया जाएगा। इसका फायदा उठाते हुए कई मशहूर ब्रांड इन वस्तुओं को अपने ब्रांड नाम वाले पैकेटों में बेचने लगे। लेकिन, इस पर कोई कार्रवाई-योग्य दावा नहीं होने की वजह से उन पर 5 फीसदी जीएसटी नहीं लग रहा था। इस तरह कर चोरी होने की शिकायतें कुछ राज्यों ने की थी। हालांकि, उन्होंने इन राज्यों के नाम नहीं बताए।


    आयकरदाताओं की शिकायतों का अब जल्द होगा समाधान
    आयकरदाताओं को अपनी शिकायतों के समाधान के लिए अब लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के नए चेयरमैन नितिन गुप्ता ने कहा, शिकायतों का तेजी से समाधान आयकर विभाग की प्राथमिकता है। इसके लिए वह करदाताओं व अन्य अंशधारकों से संपर्क में रहेगा।

    रविवार को आयकर दिवस पर उन्होंने कहा, 2021-22 में रिकॉर्ड 14.09 लाख करोड़ का कर संग्रह हुआ है। नीतियों व प्रक्रियाओं को सुसंगत करने से करदाताओं पर अनुपालन बोझ कम हुआ है, जिससे कर संग्रह का यह आंकड़ा हासिल हुआ है। हम इस उपलब्धि पर शांत होकर नहीं बैठ सकते। गति बनाए रखने के लिए लगातार मेहनत करनी होगी।

    नीतियों में बदलाव से आएगी पारदर्शिता
    नए चेयरमैन ने कहा, कुछ साल में अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक बदलाव हुआ है। डिजिटल का इस्तेमाल बढ़ा है। कारोबार की नई श्रेणियां बनी हैं और नए संपत्ति वर्ग का सृजन हुआ है। इन्हीं बदलावों को देखते हुए विभाग ने नीतियों और प्रक्रियाओं को नए सिरे से तैयार किया है। इससे कामकाज में अधिक पारदर्शिता आएगी।

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