इस्लामाबाद (islamabad)। चीन (China) पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता पाकिस्तान (Pakistan) पर भारी पड़ गई है। एशियन लाइट इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, बीजिंग पर अत्यधिक निर्भरता के कारण पाकिस्तान अपनी संप्रभुता को चीन के सामने आत्मसमर्पण कर रहा है। दोनों देशों का संबंध हताश और लोभी के बीच हुए नापाक गठबंधन जैसा हो गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के लोगों को इसे लेकर अब आवाज उठाने की जरूरत है। उन्हें अपनी गरिमा को बहाल करने के लिए सवाल पूछने होंगे। या फिर, हमेशा के लिए चुप्पी साध लेना ही दूसरा विकल्प होगा।
पाकिस्तान में CPEC की घोषणा के बाद से ही इस प्रोजेक्ट को लेकर बड़े पैमाने पर असंतोष देखा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बलूचिस्तान (Baluchistan) की स्थानीय आबादी हाशिए पर जीवन गुजार रही है। इनका यह विश्वास है कि सीपीईसी फंड शक्तिशाली लोगों की ओर से गबन किया जा रहा है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह परियोजना उन्हीं लोगों को गरीब बना रही है जिन्हें राहत मिलने की उम्मीद थी। ऐसे में देश में एक मजबूत चीन विरोधी भावना जन्म ले चुकी है।
CPEC प्रोजेक्ट को लेकर स्थानीय लोगों में नाराजगी
नस्लीय और सांस्कृतिक भेदभाव तो अपनी जगह है, इसके अलावा सुरक्षा को लेकर किए जाने वाले अलग-अलग उपायों को लेकर भी नाराजगी है। एक तरफ जहां CPEC प्रोजेक्ट से जुड़े चीनी नागरिक बुलेटप्रूफ कारों में सफर करते हैं, वहीं पाकिस्तानियों के पास ऐसी सुरक्षा नहीं है। इस तरह स्थानीय लोग आतंकी हमलों के प्रति अधिक संवेदनशील हैं। इतना ही नहीं, आतंकवादी हमलों के पाकिस्तानी पीड़ितों की तुलना में चीनी पीड़ितों को अधिक मुआवजा दिया गया है। इससे देश में चीनियों के प्रति अलगाव की भावना मजबूत हुई है।
पाकिस्तान के आंतरिक सुरक्षा तंत्र का चीनीकरण
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के आंतरिक सुरक्षा तंत्र का चीनीकरण होता दिख रहा है। सिक्योरिटी के लिए चीनी उपकरणों, नेटवर्क एक्सेस, प्रोटोकॉल और फ्रेमवर्क का इस्तेमाल हो रहा है। चीन केंद्रीय सुरक्षाकर्मियों की डिटेल को शेयर करने के पाकिस्तान के करार को भी नाकाम करने में सफल रहा है। साथ ही चीन खुद पाकिस्तानी सुरक्षा कर्मियों का बैकग्राउंड चेक करने का अधिकार पा चुका है। इतना ही नहीं, चीनी नागरिकों की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले घरों और होटलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का दायित्व भी पाकिस्तान पर रखा गया है।
बीजिंग ने ‘दोस्त’ की बदहाली का उठाया फायदा
चीन अब पाकिस्तान की जमीनी हकीकत को पूरी तरह से समझ चुका है। ड्रैगन आने वाले समय में भी इसी अप्रोच के साथ आगे बढ़ने वाला है। बीजिंग पाकिस्तान को चीनियों के प्रति देश में सकारात्मक वातावरण बनाने के लिए जिम्मेदार ठहराने में कामयाब रहा है। इसके लिए रेगुलर मॉनिटरिंग और निगेटिव पब्लिक ओपिनियन को समय रहते समाप्त करने का सहारा लिया गया। एशियन लाइट इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने अपने ‘दोस्त’ की बदहाली का लगातार फायदा उठाया है। साथ ही पाकिस्तान के आंतरिक सुरक्षा मामलों में भी बीजिंग की पकड़ काफी हद तक मजबूत हो चुकी है। हाल के दिनों में कुछ ऐसे समझौते हुए हैं जिन्होंने पाकिस्तान की संप्रभुता को अपमान के साथ कुचला है।
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