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- शहर की आधी से अधिक आबादी भूमिगत पानी से ही काम चला रही- गंभीर डेम के अलावा अन्य विकल्प भी पर्याप्त नहीं
उज्जैन। शहर तथा जिले में साल दर साल भूमिगत जल स्तर घटता जा रहा है। पिछले 6 साल के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो हालत चिंताजनक होती जा रही है। बीते 6 वर्षों में उज्जैन जिले का औसत भूजल स्तर साढ़े 3 मीटर अर्थात् 11.48 फीट नीचे चला गया है। पेयजल आपूर्ति के वैकल्पिक इंतजाम नहीं होने के कारण उज्जैन शहर की आधी आबादी अभी भी भूमिगत पानी का दोहन कर रही है।
भूजल सर्वेक्षण विकास विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक उज्जैन शहर सहित जिले में बीते 6 वर्षों में भूजल स्तर इस प्रकार रहा। इसमें वर्ष 2019 में जिले में भूमिगत जल स्तर के गिरने का औसत आंकड़ा 2.39 मीटर था। जबकि वर्ष 2020 यह 3.71 मीटर हो गया था। वहीं वर्ष 2021 में यह गिरावट 7.86 मीटर तक पहुंच गई थी। वर्ष 2022 में कुछ सुधार के बाद यह 4.23 मीटर नीचे रहा था। परंतु पिछले साल वर्ष 2023 में यह फिर गिरकर पूरे जिले में औसत 5.89 मीटर नीचे चला गया था तथा वर्ष 2024 में यह 6.81 मीटर पहुंच गया था, लेकिन इस वर्ष 2025 के जनवरी माह में जिले में औसतन भूजल का स्तर 5.50 मीटर हुआ है। जो गत वर्ष के मुकाबले 1.31 मीटर ऊपर आया है। ऐसे में 2019 से लेकर वर्ष 2025 तक उज्जैन जिले में भूमिगत जल का लेवल साढ़े तीन मीटर औसत नीचे चला गया है, जो 12 फीट के लगभग है। इस बार भी जब अप्रैल-मई में भीषण गर्मी पड़ेगी तो जमीन जल स्तर और घट सकता है। इधर शहर में जलापूर्ति के लिए केवल गंभीर बांध का 2200 एमसीएफटी पानी ही बारिश के दौरान उपलब्ध हो पाता है। शहर में औसतन रोजाना जल प्रदाय के लिए 8 एमसीएफटी पानी की आवश्यकता होती है। इस हिसाब से ये पानी अब सालभर प्रदाय करने में पीएचई को परेशानी आती है। जल संकट के दौरान हर वर्ष गर्मी के दिनों में एक दिन छोड़कर जल प्रदाय व्यवस्था शुरु करनी पड़ती है। साथ ही विभाग शिप्रा नदी, उंडासा, साहिबखेड़ी तालाब के पानी का भी उपयोग करता है। इधर शहर की आधी आबादी जो नई कॉलोनियों में बसी है वहां अभी भी केवल बोरिंग, हेण्डपंप का ही लोगों को सहारा लेना पड़ रहा है। हालांकि इस वर्ष गत वर्ष के मुकाबले भूजल स्तर में मामूली सुधार आया है।