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अग्निबाण की ग्राउंड रिपोर्ट… हत्याकांड की वजह चुनावी रंजिश : पुलिस

January 29, 2025

  • जुआ खिलाने के विरोध में गईं जानें:मृतकों के परिजन
  • टिमरी की जनता बोली, चुनावी रंजिश पुलिस की काल्पनिक कहानी, सच्चाई है जुए का फड़, जिसे रोकने में पुलिस नाकाम रही, पुलिस पर आरोपियों का प्रश्रय देने का गंभीर आरोप

मंजेश उपाध्याय, जबलपुर। पाटन के टिमरी गांव के सामूहिक हत्याकांड में असमय मरने वाले चार युवकों की चिताएं तो ठंडी हो गयीं, लेकिन उस इलाके के लोगों के दिलों में अभी भी आक्रोश दहक रहा है। पुलिस ने बहुत हैरतअंगेज तरीके से इस निर्मम हत्याकांड को चुनावी रंजिश का नतीजा बता दिया है, लेकिन गांव वाले चीख-चीखकर कह रहे हैं कि इसकी जड़ जुए का फड़ है, जिसे रोकने का विरोध करना जानलेवा साबित हो गया। ये तथ्य कितना शर्मसार करने वाला है कि चंद जुआ खिलाने वालों के हाथों चार कत्ल हो जाते हैं और पुलिस बड़ी बेहयाई से उस पर पर्दा डालने पर आमादा है। अग्निबाण ने आज टिमरी गांव की उस सच्चाई को जानने की कोशिश की, जो खून से सनी हुई है। लोगों के बुझे हुये चेहरे कानून व्यवस्था की हालत देखकर आश्चर्य में हैं। मरने वालों के परिजनों और अन्य ग्रामीणों ने मुखर होकर अपनी बात रखी। एक बात सबने कही कि चुनावी रंजिश कभी नहीं थी। किसे सच माना जाए और किसे झूठ, ये तय करना बहुत मुश्किल नहीं है। पूरा गांव कह रहा है कि पुलिस ने बेहद सतही जांच की है और उसी आधार पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

क्रइम ब्रांच के दो चेहरे हैं मददगार
अग्निबाण को पवन दुबे ने बताया कि जुए का खेल दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था। लोग जबलपुर और अन्य जिलों से भी यहां जुआ खेलने आते थे। कई बार शिकायत की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। जबलपुर क्राइम ब्रांच के दो कर्मचारी हैं, जो आरोपियों को शह देते हैं और यही कारण है कि आरोपी अनैतिक गतिविधियां संचालित करते रहे। क्राइम ब्रांच के ये दोनों नाम अक्सर गांव आते हैं और आरोपी उनका स्वागत-सत्कार करते हैं।

प्री-प्लान था हत्याकांड
मृतक की पत्नी उजाला पाठक ने कहा कि ये कांड अचानक नहीं हुआ, बल्कि इसकी तैयारी पहले से की गयी थी। हमलावर 12 से 14 के बीच थे, जिनमें से अधिकतर इस गांव के नहीं थे। इन्हें रात में ही बाहर से बुलवा लिया गया था ताकि वे सुबह होते ही खून बहा सकें। जिन नौ आरोपियों को पुलिस ने पकड़ा है, उनमें से 6 आदतन अपराधी हैं और उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं।


कानून से उठ गया विश्वास
सौरभ दुबे ने कहा कि घटना के बाद पुलिस ने जिस तरह से कार्रवाई की है, वो न केवल निराशाजनक है, बल्कि दुखद है। आरोपित है कि पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज एकत्रित करने में देरी की और प्रताडि़त परिवार को चौकी और थाने के बीच झुलाया गया। कई बार तो ऐसा भी संदेह हुआ कि पुलिस वालों को इस कांड के बारे में पहले से पता था इसलिए जानबूझकर देरी की गयी ताकि आरोपी अपना काम इत्मीनान से समाप्त कर सकें। जुए की शिकायतों को पहले भी पुलिस ने बहुत हल्के में लिया और आखिरकार रक्तरंजित तस्वीर सामने आईं। अखिलेश दुबे, बसंत रैकवार और पुन्नु नामदेव ने कहा कि इस मामले में आरोपियों के मकान गिराए जाने चाहिए।

इधर,पुलिस खुद को दे रही शाबासी
इधर, मंगलवार को एसपी संपत उपाध्याय ने कंट्रोल रूम में महज 10 मिनिट की पत्रवार्ता में अपनी और अपने मातहतों की खूब पीठ थपथपाई,लेकिन ये नहीं बताया कि जुए की शिकायत सही थी या गलत। सभी सवालों को टालते हुये श्री उपाध्याय ने नौ आरोपियों के गिरफ्तारी की बात कही और बताया कि पुलिस की भूमिका पर जो सवाल खड़े किए गये हैं, उनकी जांच करने के लिए आदेश दिया गया है। किसे आदेश दिया गया है, टीम में कौन होगा जांच अधिकारी, ये ब्यौरा नहीं दिया गया। अपनी पूरी टीम के साथ मौजूद जिले के पुलिस कप्तान ने सीसीटीवी फुटेज को लेकर लग रहे आरोपों के सवाल पर कहा कि जांच जारी है। सीसीटीवी फुटेज कलेक्ट करने में किसी जांच की जरूरत होती है, ये समझ से परे है। पुलिस के अनुसार जिन नौ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें से सात आरोपी पचमढ़ी से गिर$फ्तार किए गये, शेष दो को पनागर से हिरासत में लिया गया है।

बात-बात पर रो पड़ते हैं लोग
मरने वालों के परिजन हों या इस गांव के दूसरे लोग, सभी इस हत्याकांड से सहमे हुए हैं। अग्निबाण की टीम ने जब इनसे बात की तो बात करते-करते ये लोग रो पड़ते हैं। इस हत्याकांड में मरने वाले मनीष पाठक का 6 साल का बेटा तो अभी ये भी जानता कि उसके पिता कहां चले गये। अब उसकी मां उसे क्या बताएगी, ये सोचकर भी बेचैनी होती है। दूसरे मृतक कुंजन पाठक की मां की हालत बयान करने लायक नहीं है। पूरे गांव में मातम फैला हुआ है। गलियां ऐसी सूनी हैं, जैसे यहां कोई रहता ही न हो।

नेताओं पर भी बरसा गुस्सा
गांव के लोगों ने कहा कि ये सही है कि नेताओं ने मरने वालों के परिजनों को बुरे वक्त में सहारा दिया, लेकिन कानूनी इंसाफ दिलाने में के लिए कोई सक्रिय नहीं है। गांव वालों का दर्द है कि पुलिस सच को झूठ बनाने में कामयाब होती दिख रही है, लेकिन नेताओं ने अब तक इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई है, जबकि उन्हें सारी जानकारियां दी जा चुकी हैं। गांव वालों को अभी भी नेता ढांढस बंधा रहे हैं कि इंसाफ होगा, लेकिन वे एक बार पुलिस के आला अधिकारियों से नहीं पूछ सकते कि जब पूरा गांव जुए के फड़ के होने की बात कह रहा है तो जांच में उसका जिक्र क्यों नहीं है।

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