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अपनों को खोने का गम, चेहरे पर खुशी की मुस्कान, कलेक्टर सहित जनप्रतिनिधि पहुंचे मासूम अनाथों को खुशी देने

October 24, 2022

  • कलेक्टर कार्यालय में मनी दीपावली
  • मुख्यमंत्री के निर्देश पर तोहफे और मिठाइयों के साथ बच्चों को फ्री पटाखे भी बांटे

इंदौर। आंखों में अपने परिवार को खोने का गम… लेकिन मुख्यमंत्री की पहल पर जनप्रतिनिधियों को अपने करीब और साथ पाकर मासूमों के चेहरों पर खुशी के क्षण दिखाई दे रहे थे। कोरोना काल में अपने परिवार को खोने के बाद अनाथ हो चुके मासूमों के लिए कल कलेक्टर कार्यालय में दीपावली का त्योहार मनाया गया। कलेक्टर से लेकर जनप्रतिनिधि बच्चों के चेहरे पर खुशी लाने के लिए भरसक प्रयास करते नजर आए।

हाथों में फुलझड़ी, पटाखे, मिठाइयां भी माता-पिता को खोने का गम जब कम नहीं कर पाईं तो अपनों के साथ का एहसास ही गम को कम करने में सबसे बड़ा सहयोगी साबित होता है। ऐसा ही कुछ माहौल कल कलेक्टर कार्यालय में देखने को मिला। हाथों में पटाखे और मिठाइयां लिए बच्चे जब खुश नजर नहीं आ रहे थे तो जनप्रतिनिधियों ने उन्हें खुश करने के लिए न केवल बातें की, बल्कि उनके साथ होने का भरोसा भी दिलाया। मानवीय संवेदना की मिसाल पेश करते हुए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने अनाथ हुए बच्चों को अपने माता-पिता की कमी महसूस न हो, इसलिए हर जिले में दीपावली त्योहार से पूर्व ही दीपावली मनाने का आयोजन किया।


महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से आयोजित किये गये इस कार्यक्रम में विधायक, मंत्री सहित कलेक्टर भी मौजूद थे। जलसंसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर, सांसद शंकर लालवानी, महापौर भार्गव, विधायक रमेश मेंदोला, महेंद्र हार्डिया के साथ कलेक्टर मनीष सिंह ने बच्चों को उपहार दिए, वहीं निर्देश दिए कि जो बच्चे आयोजन में नहीं पहुंच सके हैं, उनके लिए अधिकारी घर जाकर मिठाइयां, पटाखे और अन्य वस्तुएं उपलब्ध कराए।

समस्याएं भी सुनीं
दीपावली के उल्लास और उमंग को बच्चों के मन में बनाए रखने के लिए हुए आयोजन के पहले अधिकारियों ने बच्चों से उनकी आपबीती भी सुनी। पढ़ाई से लेकर हर समस्या को जानते हुए अधिकारियों ने जरूरी दिशा निर्देश तुरंत दिए। ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री ने बच्चों के लिए पढ़ाई से लेकर खाने-पीने तक की जिम्मेदारी उठा ली। ऐसे बच्चे जो 18 वर्ष तक के हैं, उनके रहने-खाने की व्यवस्था, चार हजार रुपए की प्रतिमाह की आर्थिक सहायता के साथ इंटरशिप की अवधि में पांच हजार रुपए की मासिक सहायता के साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इन सभी बच्चों के जहां आयुष्मान कार्ड बनाकर दिए जा रहे हैं, वहीं उच्च शिक्षा तक की जिम्मेदारी ली जा रही है। आयोजन में मौजूद मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना के हितग्राही बच्चों के साथ उनके परिवार के सदस्य भी पहुंचे।

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