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    टूलकिट मामले में मानवाधिकारों का पाठ पढ़ाया Greta Thunberg ने

  • February 20, 2021

    नई दिल्‍ली। स्वीडन की क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) ने भारत में टूल किट केस में गिरफ्तार 22 साल की दिशा रवि (Disha Ravi) का समर्थन किया है। यहां तक कि उन्‍होंने मानवाधिकारों का पाठ पढ़ाते हुए दिशा रवि का किया समर्थन भी किया।
    उन्होंने (Greta Thunberg) ट्वीट कर कहा है कि अभिव्यक्ति की आजादी और शांतिपूर्ण प्रदर्शन सभी का मानवाधिकार है। इस मानवाधिकार पर कोई बहस नहीं की जा सकती है। इसे लोकतंत्र का मूल हिस्सा होना चाहिए। इसके साथ ही ग्रेटा थनबर्ग ने स्टैंड विद दिशा रवि (Stand With Disha Ravi) का हैशटैग भी लगाया।



    बता दें कि पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग (ने Fridays For Future )नाम के एक ट्विटर हैंडल के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा कि अभिव्यक्ति की आजादी, शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन और जनसभा करना मानवाधिकार है। ये किसी भी लोकतंत्र का मूल हिस्सा होना चाहिए।
    विदित हो कि देश में कई महीनों से किसान आंदोलन चल रहा है। किसानों के विरोध से संबंधित सोशल मीडिया पर ‘टूलकिट’ साझा (Share) करने और एडिट (Edit) करने के आरोप में दिशा रवि को 13 फरवरी को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था। फिर उसे पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। दिल्ली पुलिस ने प्रो-खालिस्तानी ग्रुप (पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन) और उसके सक्रिय सदस्यों की पहचान करने और हटाए गए व्हाट्सएप ग्रुप को फिर से प्राप्त करने के लिए हिरासत की मांग की थी।


    उधर कृषि कानूनों के विरोध के नाम पर कथित तौर पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को बदनाम करने की साजिश रचने की आरोपित दिशा रवि को दिल्‍ली पुलिस ने शुक्रवार को नई दिल्‍ली स्थित पटियाला हाउस की एक अदालत में पेश किया। पुलिस ने अदालत को बताया कि दिशा पूछताछ में सहयोग नहीं कर रही है।

    ग्रेटा थनबर्ग को जलवायु संकट के खिलाफ लड़ाई में सबसे अग्रणी वक्ता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कई बार अपने भाषणों से लोगों को दिल जीता है। इसके अलावा डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनकी ट्विटर वॉर की भी खूब चर्चा हुई थी। दिसंबर 2020 में स्वीडन की इस 16 साल की पर्यावरण ऐक्टिविस्ट को प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन ने 2019 का ‘पर्सन ऑफ द ईयर’ चुना गया था।

    वहीं ग्रेटा थनबर्ग ने जो विवादित टूलकिट को ट्वीट (tweet) किया था उसमें किसान आंदोलन को लेकर भारत को बदनाम करने की प्लानिंग की गई थी। इसमें समय-समय पर भारत विरोधी एजेंडा चलाने वाले कई लोग परिवर्तन भी करते थे। दरअसल दुनिया में कई ऐसे देश हैं जो भारत के अंदरूनी मामले का अंतराष्ट्रीयकरण कर बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं। शाहीन बाग वाले मामने और सीएए-एनआरसी को लेकर भी ऐसा ही प्रयास किया गया था।

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