लंदन। चीन को ब्रिटेन में बड़ी बेइज्जती की सामना करना पड़ा है। महारानी एलिजाबेथ के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सोमवार को लंदन जाने वाले चीनी प्रतिनिधिमंडल को संसद के अंदर उनके ताबूत को देखने की अनुमति नहीं दी जाएगी। क्वीन के ताबूत को ब्रिटिश सरकार की निगरानी में संसद के अंदर रखा गया है।
यही नहीं, ब्रिटेन के कई सांसदों ने चीन को न्यौता देने का भी विरोध किया है। दरअसल शिनजियांग में कथित मानवाधिकारों के हनन की आलोचना करने के लिए चीन ने कई ब्रिटिश सांसदों पर प्रतिबंध लगाए हैं। चीन के कड़े रुख का विरोध करते हुए अब कुछ ब्रिटिश सांसदों ने चीन से प्रतिनिधियों को आमंत्रित करने के बारे में चिंता जताई है।
बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीनी सरकार के प्रतिनिधिमंडल को ब्रिटिश सरकार की निगरानी में क्वीन का ताबूत देखने से बैन कर दिया है। ब्रिटेन की संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमन्स के अध्यक्ष सर लिंडसे हॉयल ने चीनी सरकार के एक प्रतिनिधिमंडल को वेस्टमिंस्टर हॉल में दिवंगत महारानी के ‘लाइंग-इन-स्टेट’ कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति नहीं दी है।
महारानी का राजकीय अंतिम संस्कार सोमवार को वेस्टमिंस्टर एबे में किया जाएगा। ‘बीबीसी’ और ‘पोलिटिको’ की खबरों के अनुसार सर लिंडसे हॉयल ने उइगुर मुस्लिम अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न का आरोप लगाने के लिए पांच ब्रिटिश सांसदों के खिलाफ चीनी प्रतिबंधों के कारण चीनी प्रतिनिधिमंडल के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।
हाउस ऑफ कॉमन्स ने कहा कि उसने सुरक्षा मामलों पर कोई टिप्पणी नहीं की है। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन को अंतिम संस्कार कार्यक्रम में उपस्थित होने की अनुमति होगी, लेकिन उसे संसद भवन के अंदर के कार्यक्रम के लिए अनुमति नहीं दी जाएगी। वेस्टमिंस्टर हॉल संसदीय संपदा का हिस्सा है तथा यह हाउस ऑफ कॉमन्स और हाउस ऑफ लॉर्ड्स के अध्यक्षों के नियंत्रण में है। इस घटनाक्रम से ब्रिटेन-चीन संबंधों के और तनावपूर्ण होने की आशंका है।
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